हरियाणा: भाजपा सरकार ने 80 मुस्लिम परिवार का घर किया ज़मींदोज

हरियाणा के मेवात जिले में प्रशासन का अमानवीय पहलू सामने आया है। मेवात जिले के टूंडलाका गांव में 80 मुस्लिम घरों को प्रशासन द्वारा ढहा दिया गया है। बेघर हुए मुस्लिम परिवार इस हांड कंपा देने वाली सर्दी में वे खुले आसमान के नीचे रहने पर मजबूर हो गये हैं। बेघर होने के बाद कुछ परिवार तो टेंट और तंबू लगा लिए हैं लेकिन कुछ परिवारों को टेंट और तंबू के बिना ही रात बिता रहे हैं।

बताया जा रहा है कि मेवात के टूंडलाका गांव के पास सीआरपीएफ कैंप प्रस्तावित है। इसी सिलसिले में प्रशासन ने 80 मुस्लिम परिवारों के बेघर कर दिया है। प्रशासन ने इन घरों को ढहा दिया है। इस जमीन पर ये परिवार पिछले 40 सालों से रह रहे थे। एक तरफ गांव वाले आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासन ने गलत तरीके और कोर्ट के फैसले को ताक में रखकर उनका घर गिरा दिया है। वहीं प्रशासन का कहना है कि ये जमीन गांव समाज की है।

मेवात विकास सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उमर मोहम्मद ने स्थानीय मीडिया को बताया कि प्रशासन ने गलत तरीके से करीब 40 वर्षों से बने हुए जिन मकानों को तोडा है। उन्होंने बताया कि चकबंदी के दौरान जो रक्बा (एरिया) बचा था वह किसानों कि पट्टी, शामलात और जुमला मालकान का है। पंचायत ने 1965 में इस जमीन का इंतखाब( रजिस्ट्री) गलत तरीके से पंचायत के नाम करा लिया था। उन्होंने बताया कि इस जमीन के विवाद का मामला जिला कोर्ट में विचाराधीन है। अदालत में विचाराधीन मामलों पर प्रशासन की कार्रवाई उचित नहीं हैं।

बेघर हुए परिवारों का कहना है कि वो वह इस जमीन पर पिछले 40 सालों से रहते आएं हैं। प्रशासन ने मकानों को तोड़े जाने से पहले सूचना नहीं दी थी। जिससे की हम अपने सामान और रहने की दूसरी व्यवस्था न कर लें। पीड़ितों ने बताया कि इस सर्दी के आलम वह खेतों में खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं, बच्चे रातभर ठंड से कांपते हैं, किसी तरह से रात कटती है। सर्दी की हर रात उनपर किसी आपदा से कम नहीं है लेकिन प्रशासन की तरफ से उन्हें किसी तरह की कोई मदद नहीं की गई है।

हरियाणा के पूर्व मंत्री आफताब अहमद ने सियासत से बातचीत करते हुए कहा कि इलाके में पहले से ही सीआरपीएफ कैंप बने हुए हैं, 15 किलोमीटर की दूरी पर ही सीआरपीएफ का कैंप लगा हुआ है लेकिन सरकार सिर्फ इलाके के लोगों में डर का माहौल पैदा करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर वाकई सरकार इलाके के लोगों का विकास चाहती है तो इस जमीन पर कोई विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज या फिर बुनियादी जरूरतों की चीजों को लगाए। उन्होंने कहा कि मेवात इलाके के प्रति सरकार की नीयत साफ नहीं है।
पूर्व मंत्री आफताब अहमद ने सीएम मनोहर लाल खट्टर को चिट्ठी लिखकर इस पूरे मामले पर निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है।

वहीं टूंंडलाका गांव में राहत सामग्री बांटने गए सामाजिक कार्यकर्ता नदीम खान का कहना है कि ”  ग्राम पंचायत की ज़मीन थी
ग्राम पंचायत की ज़मीन तो आबादी के विस्तार के लिए ही होती है और ये लोग तो 50 साल से है- इन लोगो ने कब्ज़ा कर रखा था।
कोई नोटिस भेजा गया -जी हाँ तीन नोटिस और मुनादी भी हुई है – लेकिन यहाँ तो किसी को नोटिस भी नही मिला और मुनादी भी किसी ने नही सुनी -सब झूठे है
मुनादी तो पड़ोस के मदरसे ने भी सुनी जानी चाहिए -ख़ामोशी
इस से पहले परवीन कुमार सरपंच थे उन्होंने तो इन्हें कब्ज़ा करने वाला नही बताया -फ़ोन काट दिया गया
लोगो ने बताया कि सारा कुछ किया धरा इस प्रधान का है जो बीजेपी की सरकार से मिल कर उनके मंसूबे को पूरा कर रहा है। लोगो ने मुसलमान सरपंच को चुना लेकिन इसने तो वो कर दिया जो कोई सोच नही सकता था।”