हरियाणा से आरक्षण खत्म करेगी भाजपा सरकार

हरियाणा की प्रदेश सरकार ने मेडिकल के मास्टर्स कोर्सों में आरक्षण के प्रस्ताव को खारिज़ कर दिया गया है। सरकार का कहना है की अगले साल होने वाले एमडी, एमएस और एमडीएस जैसे कोर्सों में अब एससी, एसटी और पिछड़े वर्ग को आरक्षण नहीं दिया जाएगा। इस के लिए मेडिकल शिक्षा और अनुसंधान विभाग ने प्रदेश की सरकार को एक प्रस्ताव पेश किया था जिसको सरकार द्वारा खारिज कर दिया गया है। सरकार ने यह फैसला किया है की इस साल नए सत्र के लिए ज़्यादा समय नहीं बचा है इसलिए अगले साल के सत्र में इस मुद्दे पर कुछ और राज्यों से सूचना प्राप्त कर के छानबीन की जाएगी।

अधिवक्ता जनरल बलदेव राज महाजन ने बयान में कहा की हरियाणा में मास्टर्स कोर्सेज के लिए सिमित सीटें हैं यहा पर 1971 से आरक्षण नहीं दिया गया है। इन मुद्दों पर छानबीन की आवश्यकता है। सरकार ने अधिवक्ता के सुझावों को मान लिया है और छानबीन करने की बात कही है। हाल ही में सीएम आवास पर हुई बैठक में यह फैसला लिया गया कि हरियाणा में अगले साल मेडिकल शिक्षा सत्र में आरक्षण नहीं दिया जायेगा। इस बैठक में एडवोकेट ऑफ जनरल हरियाणा बलदेव राज महाजन और मेडिकल शिक्षा अनुसंधान विभाग के अपर मुख्य सचिव धनपत सिंह शामिल हुए।

आपको बता दें की हरियाणा मेडिकल शिक्षा रिसर्च विभाग ने एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें कहा गया था की आगामी मेडिकल शिक्षा सत्र में पीजी कोर्सेज में आरक्षण दिया जाए। हरियाणा मेडिकल शिक्षा रिसर्च विभाग प्रस्ताव में सुप्रीम कोर्ट के 2 दिसंबर 2009 में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया जिसमें सर्वोच्च न्यायालय राज्य सरकार के पीजी कोर्सों में आरक्षण ना देने वाले आदेश से सहमत नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को आने वाले समय में राज्य सरकार पर छोड़ दिया था। वहीं हरियाणा मेडिकल रिसर्च विभाग ने अपने प्रस्ताव में कहा है की देश के कई राज्यों पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ में आरक्षण नीति लागू है।