शामी फ़ौज की बमबारी और दीगर अस्करी कार्यवाईयों की वजह से रवां साल के दौरान सिर्फ़ हलब में तक़रीबन दो हज़ार अफ़रद हलाक हुए। बर्तानिया में क़ायम सीरियन ऑब्ज़र्वेट्री फ़ॉर ह्यूमन राईट्स के मुताबिक़ ये ऑप्रेशन हलब और इस से मुल्हिक़ा इलाक़ों में किया गया और महलोकीन में 67 बच्चे भी शामिल हैं।
हलब शाम का इक़्तिसादी मर्कज़ रहा है। ताहम 2012 में बाग़ीयों के हमलों के बाद से इस शहर का इंतेज़ाम मुनक़सिम है। दमिश्क़ हुकूमत ने गुज़िश्ता दिसंबर में बाग़ीयों के ख़िलाफ़ ऑप्रेशन शुरू किया और इस दौरन मुख़्तलिफ़ इलाक़ों पर बैरल बम भी गिराए गए।