नई दिल्ली
दिल्ली की एक अदालत ने 4मुलाज़िमीन पुलिस को 7साल की सज़ाए क़ैद सुनाई जिन्होंने अज़ीयत रसानी के ज़रिये हवालात में एक शख़्स को हलाक कर दिया था।
अदालत ने कहा कि उन्होंने एक क़ीमती इंसानी ज़िंदगी ज़ाए करदी। महलूक की चीख़ें भलाई नहीं जा सकती। सज़ाए क़ैद सुनाते हुए दिल्ली की अदालत ने कहा कि हैड कांस्टेबल भगवान और उजागर सिंह और कांस्टेबलस श्री पाल और सियाराम को जो क़ानून के मुहाफ़िज़ हैं उस शख़्स को पुलिस स्टेशन में अज़ियत रसानी के ज़रिये हलाक करदेने के जुर्म में 7साल की सज़ाए क़ैद सुनाई जाती है।
पांचवें मुल्ज़िम कांस्टेबल चमन लाल के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा मंसूख़ कर दिया गया क्योंकि वो 2006 में ही फ़ौत हो चुका है। अदालत ने चारों मुजरिमों को ढाई लाख रुपये फी कस महलूक के विरसा-ए-को अदा करने का हुक्म भी दिया और उनकी दरख़ास्त को कि मुआवज़े की रक़म में इज़ाफ़ा किया जाये लेकिन उन्हें जेल में रवाना ना किया जाये मुस्तरद कर दिया।