तारा शाहदेव मामले में साबिक़ एमपी इंदर सिंह नामधारी ने एक बड़ा खुलाशा करते हुए कहा है कि उन्होंने रंजीत उर्फ रकीबुल की मदद से एक सख्श को तीन माह के पैराल पर रिहा करवाया था। नामधारी ने रंजीत उर्फ रकीबुल की शादी में खुद के शामिल होने पर सफाई भी दी है। उनके इस खुलासे के बाद झारखंड के जज पर कई सवाल उठने लगे हैं।
इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि रंजीत उर्फ रकीबुल का अदालत में कितनी गहरी पैठ थी। तारा-रकीबुल मामले में पहले से ही अदालत में आला ओहदे पर बैठे अहम लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। अब नामधारी के खुलासे ने उस सच को और साफ तौर पर सामने ला दिया है।
इतवार को रांची में एक प्रेस बयान में नामधारी ने कहा कि उनका और रंजीत उर्फ रकीबुल का ताल्लुक उतना ही है जितना एक ‘रसीदी टिकट’ पर लिखा जा सकता है। वजीरे आला की तरफ से मामले की सीबीआई जांच की सिफ़ारिश के बाद नामधारी ने मशहूर मुसनीफ़ा अमृता प्रीतम की स्वानह उमरी ‘रसीदी टिकट’ की बहस करते हुए अपने बचाव में बयान जारी किया है। नामधारी ने बताया, ‘ मेरे सहपाठी और सैनिक स्कूल तिलैया के रेटाइर्ड प्रिन्सिपल अंबिका दत्त पाण्डेय मेरे पास एक नौजवान के साथ आये और उसका तारुफ़ आरएस कोहली के तौर में करवाया। मेरे दोस्त अंबिका ने यह भी बताया कि आरएस कोहली ने उनके अशोक नगर वाकेय मकान को किराये पर ले रखा है और आपसे मिलवाने की बार-बार गुजारिश करता है.’ नामधारी ने आगे बताया। ‘ एक बार कोहली नगर उंटारी अपने डीएसपी दोस्त से मिलने जाते वक़्त डाल्टनगंज में भी मेरे रिहाइशगाह पर मुझसे मिला और दो बार मेरे दिल्ली वाकेय रिहाइशगाह पर भी मुझसे मिला। इस दौरान मैं भी उसके रिहाइशगाह पर गया और उसने अपने मरहूम वालिद हरनाम सिंह का फोटो (सिख के तौर में) दिखाया और अपनी वालिदा से भी तारुफ़ करवाया। ‘
नामधारी ने आगे बताया, ‘ चतरा का एमपी होने के नाते वहां के कई भाजपा लीडरों और अमित कुमार चौबे, अखिलेश उपाध्याय और जिला सदर भोला प्रसाद साहू वगैरह ने मुझसे दरख्वास्त किया कि मैं एक पुराने भाजपा लीडर प्रवीण चंद्र पाठक (एक कत्ल के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे) के अहले खाना से जरूर मिलूं। उन लोगों की दरख्वास्त पर उस खानदान से मिला और मिलकर काफी दुख हुआ। जब मैने उन्हें इक़्तेसादी मदद देने की बात कही तो पाठक की बीवी ने हाथ जोड़कर कहा कि मेरे शौहर को तीन माह के पैरोल पर रिहा करवा दीजिए। ‘
नामधारी ने कहा,’ इस मंज़र पर मुझे कोहली की याद आ गयी क्योंकि वह मिलने पर हर बार कहा करता था कि कोई काम हो तो जरूर बताइयेगा। मेरे लिए अपने मसरूफ़ ज़िंदगी से वक़्त निकालना मुश्किल था इसलिए मैंने प्रवीण पाठक को जमानत दिलवाने का काम कोहली को सौंप दिया’
उन्होंने यह नहीं कहा कि अपने राब्ते की ताक़त पर कोहली उर्फ रकीबुल ने पाठक को पैरोल पर रिहा करवाया, बल्कि उन्होंने बताया, ‘मैं कोहली का शुक्रगुजार बन गया क्योंकि उसने एक गम में डूबे खानदान को मशक्कत करके वकीलों के जरिये पाठक की बेटी के ऑपरेशन के नाम पर उन्हें झारखंड हाइ कोर्ट से तीन महीनों के लिए जमानत दिलवा दी।
रंजीत उर्फ रकीबुल की शादी में शिरकत होने की बात को नामधारी ने काफी हल्के अंदाज में यह बताकर दबा दिया कि रंजीत ने अपनी शादी के एक दिन पहले उनसे फोन पर शादी में शामिल होने की दरख्वास्त किया। दुबारा कोहली ने 7 जुलाई 2014 की सुबह यह कहकर उन्हें शादी में शामिल होने के लिए मजबूर किया कि वे नहीं आयेंगे तो कोहली वरमाला भी नहीं करेगा।
नामधारी ने कहा,’ यह छोटा सा तारीख कोहली से मेरे तरुफ़ का है। इससे मेरे मुखालिफत या नुक्ताची कुछ और ज़्यादा खोजने की कोशिश करेंगे तो उन्हें निराशाकुछ हाथ नहीं लगेगा। इस छोटे से तारुफ़ में मैंने एक अवामी नुमादगी होने का फर्ज निभाया है। क्योंकि किसी सख्श की अंदरूनी सरगरमियों को दो-चार मुलाकातों से नहीं जाना जा सकता।