हाईकोर्ट का रिज़र्वेशन पर फैसला गैर दस्तूरी: मौलाना मुहम्मद वली रहमानी

आंधरा प्रदेश हाईकोर्ट के रिज़र्वेशन के हालिया फैसला पर हज़रत मौलाना मुहम्मद वली रहमानी सज्जादा नशीन ख़ानक़ाह रहमानी मोनगेर ने तब्सिरा करते हुए एक सहाफ़ती मुलाक़ात में कहा कि ये फैसला आए हिंद के सरिया तक़ाज़ों से हम आहंग नहीं है।

आए में तालीमी और मआशी पसमांदा तबक़ा को रिज़र्वेशन देने की बात कही गई है और अभी सिर्फ मुसलमान हिंदूस्तान में तालीमी तौर पर पसमांदा हैं। वज़ारत-ए-दाख़िला और एच आर डी की रिपोर्ट बरसों से यही कहती है। इक़तिसादी और मआशी लिहाज़ से मुसलमानों की हालत सच्चर कमेटी ने बता दी है, इसलिए मुसलमानों के रिज़र्वेशन को ग़लत किस तरह क़रार दिया जा सकता है?

ये भी वाक़िया है कि हिंदूस्तान में जो पहला रिज़र्वेशन नाफ़िज़ किया गया, वो दलितों को हिन्दू रखने के लिए नाफ़िज़ किया गया। अगर कोई दलित मुसलमान हो जाए तो इसकी सारी सहूलत ख़तम कर दी जाएगी। फिर लौट कर वो हिन्दू हो जाए तो दुबारा उसे सारी सहूलत मिल जाएगी।

क़ानून की ये अमली शक्ल बताती है कि माली और तालीमी पसमांदगी रिज़र्वेशन का असल सबब नहीं है बल्कि मज़हब असल सबब है, इसलिए मज़हब को रिज़र्वेशन की राह में रुकावट मानना आए की सही तशरीह नहीं है।