हाईकोर्ट से बरी किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने कांग्रेस सरकार का फैसला

बेंग्लुरु: कर्नाटक भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के घर कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ एक नई मुश्किल खड़ी कर दी गई है जबकि कांग्रेस सरकार ने यह फैसला किया है कि भ्रष्टाचार के मामले में हाईकोर्ट से बरी किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की जाए। कानून मंत्री श्री आई जया चंद्रा ने बताया कि लोकसभा अयूक्त (संस्थागत काउंटर रिश्वत सताने) की सिफारिश पर सरकार ने अपील दायर करने के लिए 24 जनवरी को आदेश जारी किए थे। उन्होंने कहा कि लोकसभा अयूक्त की सिफारिश की पृष्ठभूमि में गृह विभाग ने कार्रवाई करते हुए यह आदेश जारी किए हैं और यूरोप के खिलाफ लगभग 15 मामलों में एक अपील दायर की जाएगी। सदारामया सरकार ने येदियुरप्पा की चौथी बार भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाने के आंतरिक 2 सप्ताह यह कदम उठाया है जिन्होंने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 224 के 150 सीटों पर जीत का लक्ष्य निर्धारित किया है।

इस साल जनवरी में हाईकोर्ट से राहत दिए जाने पर लनगायत समुदाय के शक्तिशाली नेता भाजपा का भाग्य जुड़े दिया गया जबकि नियमों का उल्लंघन करते हुए आराज़ीयात आवंटन के आरोपों पर लोक अयूक्त पुलिस येदियुरप्पा के खिलाफ 15 केसेस दर्ज किए हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने मनसोबह सभी आरोपों पर रोक लगा दी थी। हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से य‌दीयूरपा वापसी के तुरंत बाद मुख्यमंत्री सदारामया ने यह संकेत दिया था कि सरकार बहुत जल्द एक मराफिह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेगी और कानून विभाग इस ख़ुसूस में अंतिम फैसला करेगा।

गौरतलब है कि वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार के आरोप होने पर येदियुरप्पा ने बतौर मुख्यमंत्री इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद भाजपा छोड़ संबंध करके नई पार्टी कर्नाटक जनता पार्टी की स्थापना की थी। लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में नई पार्टी को कोई लाभ तो नहीं हुआ अलबत्ता भाजपा के लिए जबरदस्त हानिकारक साबित हुई और वह फिर भाजपा में इस समय शामिल हो गए जब 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर घोषित किया गया लेकिन येदियुरप्पा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए अपनी इच्छा को छिपा नहीं सके और उनके अद्वितीय स्टाईल के कारण हाल ही में पद सौंपा दिया गया और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत होने के बाद सदारामया सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाने लिया जिस पर सरकार ने भी उन्हें राजनीतिक रूप से बेअसर करने के लिए भ्रष्टाचार मामलों को पुनर्जीवित करने का फैसला किया है।