हाईड्रो इलैक्ट्रिक प्रोजेक्ट के नजदीक रोक एहकामात

जम्मू-ओ-कश्मीर के बंडी पूरा ज़िला में हुक्काम ने ज़र-ए-तामीर किशनगंगा हाईड्रो इलैक्ट्रिक प्रोजेक्ट (KGHED) के नजदीक‌ में शहरियों की नक़ल-ओ-हरकत पर पाबंदी लगा दिया है क्योंकि मज़कूरा प्रोजेक्ट पर काम का सिलसिला बला रुकावट जारी है।

एक सरकारी तर्जुमान के मुताबिक़ KGHEP की तामीराती सरगर्मियों को जारी रखने और प्रोजेक्ट के नजदीक‌ के इलाक़े में किसी भी नौईयत की दरअंदाज़ी या आमद-ओ-रफ़्त की रोक थाम केलिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बंडी पूरा प्रोजेक्ट से 100 मीटर की दूरी तक दफ़ा 144 के तहत रोक हुक्म‌ जारी किए हैं ये एहकामात की इजराई तक जारी रहेगा।

ज़राए के मुताबिक़ हुकूमत पाबंदी नाफ़िज़ करने इस लिए मजबूर हुई क्योंकि मुक़ामी लोगों ने नेशनल हाईड्रो इलैक्ट्रिक पावर कारपोरेशन (NHPC) से अपनी आराज़ीयात के बदले मुआवज़ा का मांग‌ किया है और ये धमकी भी दी है कि अगर इनका मांग‌ मंज़ूर नहीं किया गया तो वो मज़कूरा बाला प्रोजेक्ट के रूबरू अपने धरने में शिद्दत पैदा करेंगे।

मुक़ामी अवाम का कहना है कि मज़कूरा प्रोजेक्ट केलिए जो 38 हेक्टर्स आराज़ीयात का हुसूल अमल में आया है इसके लिए मुआवज़ा की रक़म 40 लाख रुपये फ़ी हेक्टर अदा की गई है जबकि गुरेज़ में इस प्रोजेक्ट के लिए हासिल की गई आराजियात के लिए फ़ी हेक्टर एक करोड़ 20 लाख रुपये अदा किए गए हैं।

इन का ये भी ख्याल है कि प्रोजेक्ट के नतीजा में वहां से निकलने वाले फ़ासिद मादों को मधूमती और बोनार नहरों में छोड़ा जा रहा है जिस से वहां का पानी आलूदा होरहा है जिस से बीमारियां फैलने का भी ख़तरा है। याद रहे कि 330 मैगावाट प्रोजेक्ट को 3642 करोड़ रुपये के मसारिफ़ पर तामीर किया जा रहा है और उसे इस तर्ज़ पर वज़ा किया गया है कि दरयाए किशनगंगा से पानी का रुख़ दरयाए जहलुम में वाके पावर प्लांट तक मोड़ दिया जाएगा।

2009 में इस प्रोजेक्ट का आग़ाज़ हुआ था और तवक़्क़ो है कि 2016 तक उस की तकमील होजाएगी।