हाजी अली दरगाह पर महिलाओं के प्रवेश के बारे में हाईकोर्ट सुनाएगा मंगलवार को फ़ैसला

मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय द्वारा प्रसिद्ध हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर  लगे प्रतिबंध को चुनौती देने की याचिका के बहुप्रतीक्षित फैसले पर मंगलवार को फ़ैसला सुनाये जाने की संभावना है |

न्यायमूर्ति वी एम कनाडे और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-धेर की खंडपीठ ने  गैर-सरकारी संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की कार्यकर्ताओं नूरजहां नियाज और जाकिया सोमन, की ओर से 9 जून को दायर यचिका पर  अपना आदेश सुरक्षित रखा ।

याचिकाकर्ताओं की दलील है कि महिलाओं को 1865-2012 के बीच मुस्लिम संत सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की कब्र (मजार) तक प्रवेश की अनुमति थी लेकिन बाद में हाजी अली दरगाह के ट्रस्टी द्वारा उनके प्रवेश पर रोक लगा दी गयी जो महिलाओं को संविधान में दिए गये अधिकार का उल्लंघन है |

भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई द्वारा महिलाओं को महाराष्ट्र के शनि मंदिर में अनुमति पाने के लिए आंदोलन किये जाने के बाद एक गैर-सरकारी संगठनों के एक समूह ने ‘सभी के लिए हाजी अली’ के बैनर तले ये मुहिम शुरू की थी |

दरगाह में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के मामले में हाजी अली दरगाह के ट्रस्टी का कहना है कि चूंकि यह एक सूफी संत की कब्र है इसलिए यहां महिलाओं को एंट्री देना सही नहीं है |

मुंबई  के वरली तट के निकट एक छोटे से टापू पर स्थित 15 वीं सदी के सूफी संत की दरगाह पर दैनिक प्रार्थना के लिए सभी धर्मों के लगभग 50,000 श्रद्धालु रोज़ आते हैं |