हाफ़िज़ पीर शब्बीर का दावा मज़हका ख़ेज़

निज़ामाबाद, 01 अप्रेल: जनाब सय्यद नजीब अली एडवोकेट ने अपने एक सहाफ़ती बयान में सदर जमइयतुल उलमा हाफ़िज़ पीर शब्बीर की जानिब से तहफ़्फुज़ात का सेहरा अपने सर बांधने के दावे को मज़हका ख़ैर क़रार देते हुए मुहम्मद अली शब्बीर की नुमायां ख़िदमात को मुस्तर्द करने की शदीद मुज़म्मत की।

उन्होंने कहा कि सदर जमइयतुल उलमा का उस वक़्त कोई वजूद शनाख़्त और पहचान नहीं थी जब 1990 में इस मसले पर जनाब मुहम्मद अली शब्बीर ने इक़तिदार में रहते हुए उस वक़्त के चीफ़ मिनिस्टर विजे भास्कर रेड्डी से मुतालिबा करते हुए मुसलमानों को तहफ़्फुज़ात फ़राहम करने का मुतालिबा किया था और पहली मर्तबा अक़ल्लियती तलबा को जी ओ 82 के ज़रिये बी सी तलबा के मुमासिल स्कालरशिप्स की इजराई अमल में लाई गई थी।

उन्होंने कहा कि उस वक़्त उल्मा का बड़ा तबक़ा तहफ़्फुज़ात के फ़वाइद से नावाक़िफ़ होते हुए उस की मुख़ालिफ़त की थी उन्होंने पूछा कि सदर जमइयतुल उलमा का उस वक़्त भी कोई वजूद नहीं था जब मुहम्मद अली शब्बीर ने पहली मर्तबा मुल्क भर में अक़ल्लियती बहबूद के महिकमा के अलैहदा क़ियाम का मुतालिबा करते हुए उस महिकमा को क़ायम करने में कामयाबी हासिल की थी।