हामिद अंसारी का दौरा तुर्की

हिंदूस्तान और तुर्की के ताल्लुक़ात देरीना हैं। नायब सदर जमहूरीया हामिद अंसारी ने अपने दौरा के मौक़ा पर दोनों मुल्कों की सदीयों क़दीम तहज़ीबी, सक़ाफ़्ती और तिजारती रवाबित का तज़किरा किया।

बिलाशुबा आलमी सतह पर तुर्की एक मुनफ़रद इमतियाज़ का हामिल मुलक ही। इस की एक ख़ुसूसीयत ये भी है कि इस्लामी इक़दार के साथ साथ ज़माना की तरक़्क़ी को इस ने नजर अंदाज़ नहीं किया।

जहां एक तरफ़ तुर्की को रूहानियत, सूफ़ी अज़म और फ़लसफ़ा के शोबा में हिंदूस्तान के साथ मुशतर्का इक़दार का हामिल मुलक माना जाता है वहीं ये किसी तरह की सरहदी पाबंदीयों से आज़ाद मुल्क में नायब सदर जमहूरीया हामिद अंसारी ने अपने दौरा के मौक़ा पर हिंद तुर्की को तिजारती शोबों में क़रीब करने पर तवज्जा मर्कूज़ की। इस के इलावा इस मलिक के साथ हिंदूस्तान की रुहानी वाबस्तगी की यादों को ताज़ा किया।

मौलाना जलाल उद्दीन रूमी और हज़रत ख़्वाजा मुईन उद्दीन चशतीऒ के रुहानी फ़्यूज़ से दोनों मलिक के अवाम मुस्तफ़ीद होरहे हैं। आलमी सतह पर तुर्की के ताल्लुक़ात तमाम मुल्कों से बेहतर हैं मगर हिंदूस्तान के साथ इस का रिश्ता कई लिहाज़ से मुश्तर्क है।

इस लिए नायब सदर जमहूरीया हामिद अंसारी ने तुर्की के साथ हिंदूस्तान के तिजारती, सनअती, सक़ाफ़्ती ताल्लुक़ात को फ़रोग़ देने के लिए संजीदा कोशिश की वकालत की है।

तुर्की ने मआशी शोबा में बेहतर तरक़्क़ी की है। हिंदूस्तान की भी मआशी तरक़्क़ी सब पर अयाँ है। इसलिए इस दोस्ती और ताल्लुक़ात को एक नई सिम्त देने की ज़रूरत ज़ाहिर की गई है। तुर्की ने हालिया बरसों में अपनी मईशत को तेज़ी से फ़रोग़ दिया है।

इस के पेशे नज़र हिंदूस्तान ने दोनों जानिब सीनीयर ओहदेदारों के दरमयान आला सतही और ग़ैरमामूली मुलाक़ातों को फ़रोग़ दे कर एक दूसरे की ज़रूरीयात को समझा है।

इनफ़रास्ट्रक्चर के शोबा में तुर्की को जो तजुर्बा हासिल है इस के इव्ज़ इन्फ़ार्मेशन टैक्नोलोजी में हिंदूस्तान की महारत भी किसी से पोशीदा नहीं है इस लिए दोनों मुल्कों के बाहमी ताल्लुक़ात हर शोबा में यकसाँ तौर पर फ़रोग़ दिए जाने चाहिए इस ख़सूस में सनअती घरानों ने 2012 ता 2017 -ए-के दौरान एक खरब डालर की सरमाया कारी की ज़रूरत ज़ाहिर की है ख़ासकर ट्रांसपोर्टेशन इनफ़रास्ट्रक्चर जैसे रेलवे, शाहराओं और बंदरगाहों पर सरमाया कारी की जाएगी।

हिंदूस्तान की ज़रूरीयात की तकमील तुर्की के तामीराती शोबा में पाई जाने वाली महारत से हो सकती है क्योंकि तुर्की की कंपनीयों को इस वक़्त चीन के बाद दूसरा मुक़ाम हासिल ही। दुनिया की सब से बड़ी तामीराती कंपनीयों में तुर्की का शुमार होता है। आलमी सतह पर जो ममालिक दहश्तगर्दी से मुतास्सिर हैं इस से हिंदूस्तान और तुर्की भी महफ़ूज़ नहीं हैं।

इस लिए सदर जमहूरीया हामिद अंसारी ने दहश्तगर्दी के मसला को भी सदर तुर्की और वज़ीर-ए-आज़म से मुलाक़ात के दौरान नुमायां तौर पर पेश किया। दहश्तगर्दी के ख़तरे से निमटने के लिए दोनों मुल्कों ने अपने अज़म का यकसाँ इज़हार किया ही। बाहमी सतह पर हो या आलमी फ़ोर्स में दोनों मुल्कों ने दहश्तगर्दी के मसला से निमटने के लिए मालूमात और हिक्मत अमलियों के तबादला के इलावा एक जवाइंट वर्किंग ग्रुप पहले ही तै कर लिया है।

दुनिया में आज़ाद तिजारत का फ़रोग़ पाता माहौल तुर्की के लिए भी अहम है इस लिए हिंदूस्तान के साथ आज़ाद तिजारती मुआहिदा किया गया जिस से सनअत-ओ-तिजारत को इमकानी तौर पर फ़रोग़ हासिल होगा। 2009 ए- में तुर्की और हिंदूस्तान के दरमयान 2.3 बिलीयन डालर की तिजारत हुई थी इस में 2010 -ए-में 4 बिलीयन डालर का इज़ाफ़ा हुआ।

गुज़श्ता एक साल के दौरान भी दोनों जानिब तिजारत को ज़बरदस्त फ़रोग़ मिला ही। फ़बरोरी 2008 -ए-में हिंदूस्तान ने तुर्की के साथ जिस तरह के बाहमी ताल्लुक़ात को फ़रोग़ दिया था इस के इव्ज़ तुर्की के इस वक़्त के वज़ीर-ए-ख़ारजा नायब वज़ीर-ए-आज़म अली बाबा ख़ां ने हिंदूस्तान का सरकारी दौरा करके इस दोस्ती को मज़बूत बनाया था।

3 दहों बाद वो हिंदूस्तान का दौरा करने वाले पहले वज़ीर-ए-ख़ारजा तुर्की थे उन के दौरा ने वज़ीर-ए-आज़म रजब तुय्यब अरदगान के नवंबर 2008 -ए-में दौरा की बुनियाद डाल दी थी। फ़बरोरी 2010 -ए-में सदर अबदुल्लाह गुल के दौरा से ताल्लुक़ात को फ़रोग़ देने की सतह मज़ीद बुलंद हो गई है। अब नायब सदर जमहूरीया हामिद अंसारी के दौरा 2003 -ए-के बाद हिंदूस्तान की आला सतही दौरा है जो तारीख़ी एहमीयत का हामिल बन गया है।

वज़ीर-ए-आज़म अटल बिहारी वाजपाई के दौरा तुर्की के बाद हामिद अंसारी का ये दौरा तारीख़ का अहम बाब बनेगा। हामिद अंसारी ने फ़लस्तीनी अवाम की जद्द-ओ-जहद को हिंदूस्तान की हिमायत का इआदा किया है।

आलमी सतह पर इसराईल की खुली जारहीयत किसी से पोशीदा नहीं है ताहम इसराईल के साथ अमन से रहने केलिए फ़लस्तीनी अवाम के हुक़ूक़ को सल्ब नहीं किया जा सकता। नायब सदर जमहूरीया हामिद अंसारी ने अपने दौरा के ज़रीया दोनों मुल्कों की तारीख़ में एक अहम बाब का इज़ाफ़ा किया ही। मग़रिब की तरफ़ देखो पालिसी को वुसअत देने की कोशिशों में हिंदूस्तान ने कई आलमी मौज़ूआत को ख़ुसूसीयत दी है।

इस में अक़वाम-ए-मुत्तहिदा में फ़लस्तीनीयों की आरज़ूओं की भी तौसीक़ शामिल ही। हामिद अंसारी को आलमी ताल्लुक़ात को फ़रोग़ देने का मुनफ़रद एज़ाज़ हासिल ही। इस तनाज़ुर में तुर्की की मौलाना यूनीवर्सिटी ने उन्हें एज़ाज़ी डिग्री से नवाज़ा है। इस के इलावा शहर कोनया की एज़ाज़ी शहरीयत भी हामिद अंसारी की सयासी, समाजी और सक़ाफ़्ती ख़िदमात का बेहतरीन मज़हर है।