हामिद अंसारी दादा की तस्वीर देख कर जज़बात से मग़्लूब

अनक़रा । 12 । अक्तूबर (ज़हीर उद्दीन अली ख़ां) नायब सदर जमहूरीया केलिए ये लम्हा इंतिहाई जज़बाती था जब उन्हें उन के परदादा के भाई की एक नादिर-ओ-नायाब तस्वीर पेश की गई थी । ये तस्वीर 1913 -ए-में ली गई थी , जब आज से तक़रीबन एक सदी क़बल उन्हों ने 1913 -ए-की बुलक़ान जंगों के दौरान एकतबी मिशन पर तुर्की का दौरा किया था । तुर्की की अज़ीम क़ौमी असैंबली (पार्लीमैंट) के स्पीकर जनाब जमील शेख़ ने जनाब हामिद अंसारी को उन के दादा के भाई एम ए अंसारी की यादगार तस्वीर पेश की जिस को हासिल करते हुए वो जज़बात से मग़्लूब होते देखे गए । डाक्टर एम ए अंसारी ने बुलक़ान जंगों के दौरान तर्क अफ़्वाज को तिब्बी इमदाद पहूँचाने की ग़रज़ से इस मुल्क का दौरा किया था । जनाब हामिद अंसारी को एक सदी क़बल के इस यादगार वाक़िया से मुताल्लिक़ ख़बरों के अख़बारी तराशे और दीगर तफ़सीलात भी पेश की गईं। सलतनत उस्मानिया में डाक्टर अंसारी की ख़िदमात से मुताल्लिक़ किताबचा मैं डसमबर 1912 -ए-के दौरान जरीदा कामरेड के ऐडीटर की तरफ़ से तुर्की की हिलाल अहमद कमेटी को भेजे गए टैली ग्रामस भी शामिल हैं। ये सोसाइटी 1868 -ए-में तशकील की गई थी और मुस्तफ़ा अतातुर्क ने 1935 -ए-में इस का नाम तबदील करते हुए कीज़ीलीह रखा था