हामिद अंसारी , नायब सदर जमहूरीया ( उप राष्ट्रपति) के लिए दुबारा नामज़द , बी जे पी की मुख़ालिफ़त ( विरोध)

क़िस्मत ने भले ही मुहम्मद हामिद अंसारी को राष्ट्रपति भवन मुंतक़िल होने से रोक दिया लेकिन वो अनक़रीब ( जल्द) ऐसे सिर्फ़ दूसरे हिंदूस्तानी होने का रिकार्ड क़ायम करने वाले हैं जिन्हें बहैसीयत नायब सदर जमहूरीया मुतवातिर (लगातार) मीयाद हासिल हो।

75 साला नायब सदर जो पेशा के एतबार से सफ़ीर (राजदूत) हैं और जिन्होंने वाइस चांसलर, अलीगढ़ यूनीवर्सिटी के तौर पर भी ख़िदमात अंजाम दी, आँजहानी ( स्वर्गीय) फीलोस्फी मुदब्बिर एस राधा कृष्ण की तक़लीद ( अनुसरण / पैरवी) करने जा रहे हैं, जिन्हें बहैसीयत नायब सदर 1952 और 1962 के दरमयान दो मीयादें हासिल हुईं।

सोनीया गांधी ने बरसर-ए-इक़तिदार यू पी ए इत्तिहाद की चेयर परसन की हैसियत से मिस्टर अंसारी को अपना उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया। मुहम्मद हामिद अंसारी नायब सदर जमहूरीया हिंद ( उप राष्ट्रपति हिन्दुस्तान) की हैसियत से अपनी मीयाद अनक़रीब मुकम्मल कर लेगे। उन्होंने राज्य सभा की पुरोक़ार अंदाज़ में सदारत की है।

यू पी ए एन का नाम नायब सदर हिंद की हैसियत से दूसरी मीयाद के लिए उम्मीदवार के तौर पर नामज़द करते हुए अपने लिए एज़ाज़ समझता है, मिसिज़ गांधी ने ये बात कही। चंद मिनट में समाजवादी पार्टी और मायावती की बी एस पी ने अपनी ताईद पेश कर दी।

अददी ( गणना योग्य) ताक़त इतमीनान बख्श तौर पर मिस्टर अंसारी के हक़ में है, लेकिन कलीदी यू पी ए रुकन ( सदस्य) ममता बनर्जी ताईद में नहीं और मौक़िफ़ बदलने का इमकान ( संभावना) भी नहीं है। बी जे पी ने हामिद अंसारी की मुख़ालिफ़त ( विरोध) करते हुए ऐलान किया कि वो नायब सदर जमहूरीया के इंतिख़ाब का मुक़ाबला करेगी ।

एन डी ए की हलीफ़ ( पक्ष की) पार्टियों से मुशावरत ( बात चीत) के बाद अपने उम्मीदवार के नाम को क़तईयत ( निश्चित तौर पर) देगी । 6 जुलाई को एन डी ए का इजलास तलब किया गया है । शरद यादव ने हामिद अंसारी को दूसरी मीआद तफ़वीज़ करने की मुख़ालिफ़त की है ।
हुकमरान पार्टी की हलीफ़ जमात तृणमूल कांग्रेस हनूज़ ( अभी तक) अपनी ताईद ( हिमायत/पुष्टी) के मसला ( समस्या) पर ख़ामोश है । इसके नुमाइंदा और वज़ीर रेलवे ( रेल मंत्री) मुकुल राय ने इजलास ( शभा) में शिरकत की ।

राय जिन की पार्टी के गुज़शता माह सदारती ओहदा के लिये परनब मुकर्जी की उम्मीदवारी की मुख़ालिफ़त ( विरोध) की थी तजवीज़ (विचार/प्रस्ताव) रखी कि नायब सदर जमहूरीया ( राष्ट्रपति) के ओहदा ( पद) के लिये साबिक़ गवर्नर ( पूर्व राज्यपाल) मग़रिबी बंगाल गोपाल कृष्णन गांधी और साबिक़ एम पी कृष्णा बोस को नामज़द किया जाय ।

इन तजावीज़ (प्रस्ताव) को यू पी ए चेयर परसन के साथ साथ वज़ीर आज़म ने भी नज़र अंदाज कर दिया । 2007 में अंसारी नायब सदर ( उप राष्ट्रपत) के लिए हैरानकुन इंतिख़ाब (चुनाव) रहे जबकि बाएं बाज़ू जमातों ( Left parties ) ने जो यू पी ए I हुकूमत की बाहर से ताईद ( समर्थन) कर रही थीं, उन का नाम तजवीज़ किया और कांग्रेस ज़ेर क़ियादत इत्तिहाद ने उसे कुबूल कर लिया।

उन्होंने 2007 इलेक्शन में 788 के एलकटोरल कालेज में 455 वोट हासिल करते हुए बी जे पी की नजमा हेप्तुल्लाह को शिकस्त दी थी। यू एन पी ए उम्मीदवार रशीद मसऊद तीसरे मुक़ाम पर आए। अच्छे तालीम-ए-याफ़ता और ख़ुश अख़लाक़ शख़्स, हामिद अंसारी आइन्दा हफ़्ते के सदारती इंतिख़ाब के लिए दौड़ में नुमायां दावेदारों में शामिल थे।

इन का नाम यू पी ए की दूसरी पसंद रहा जैसा कि सोनीया गांधी ने इन्किशाफ़ ( ज़ाहिर) किया लेकिन परनब मुकर्जी ने तृणमूल कांग्रेस की कांग्रेस पर दबाओ डालने की हिक्मत-ए-अमली (कूटनिती) नाकाम हो जाने के बाद उन्हें इस ओहदा के लिए पीछे छोड़ दिया। अंसारी तब चेयरमैन, क़ौमी कमीशन बराए अक़ल्लीयतें (Chairman of the National Commission for Minorities) थे जब उन्हें 2007 में नायब सदारती चुनाव के लिए नामज़द ( Nominate) किया गया था।

मजमूई तौर पर उन्होंने इस ओहदा के साथ साथ सदर नशीन राज्य सभा की हैसियत से ख़ुद को अच्छी तरह पेश किया है, इस फ़ैसले के सिवा जिस में उन्होंने गुज़श्ता साल ऐवान (संसद) को सरमाई इजलास के आख़िरी रोज़ अचानक मुल्तवी कर दिया जबकि ऐवान को लोक पाल बिल पर राय दही (मतदान) की तवक़्क़ो ( संभावना) थी।

बी जे पी ने अलतवी के फ़ैसले पर तन्क़ीद (समीक्षा) करते हुए इल्ज़ाम आइद किया कि ये इक़दाम हुकूमत को परेशानकुन इमकानी शिकस्त से बचाने के लिए किया गया। नरम गुफ़तार अंसारी ने मुस्तक़िल नुमाइंदा-ए-हिंद बराए अक़वाम-ए-मुत्तहिदा (UN), हिंदूस्तानी हाई कमिशनर बराए आस्ट्रेलिया और सफ़ीर ( राजदूत) बराए मुत्तहदा अरब अमीरात ( UAE), अफ़्ग़ानिस्तान, ईरान और सऊदी अरब की हैसियत से ख़िदमात अंजाम दी हैं।

वो 1961 में इंडियन फोरेन सर्विस (Indian Foreign Service) में शामिल हुए थे। पद्मश्री एवार्ड याफ़ता अंसारी मई 2000 में अलीगढ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के वाइस चांसलर बने थे और इस ओहदा पर मार्च 2002 तक फ़ाइज़ रहे। हामिद अंसारी को गुजरात फ़सादाद के मुतास्सिरीन ( पीडितो) के लिए मुआवज़े को यक़ीनी बनाने और 1984 के बाद से मुतास्सरीन-ए-फ़साद के लिए राहत और बाज़ आबादकारी के मुकम्मल अज़सर-ए-नौ जायज़े पर ज़ोर डालने में उन के रोल के लिए भी जाना जाता है।

वो सुलगते मौज़ूआत पर अपनी ठोस आरा के लिए भी मारूफ़ ( मशहूर) हैं।