हामिला ख़वातीन और नौज़ाईदा बच्चों को तग़ज़िया बख़श ख़वारिक़ ज़रूरी

हैदराबाद ।२१। मार्च : ( एजैंसीज़ ) : नौज़ाईदा बच्चों को पैदाइश के इबतिदाई एक हज़ार दिनों में अगर मुनासिब तग़ज़िया बख़श ख़ुराक फ़राहम ना की गई तो इस के जोमनफ़ी असरात बच्चों की सेहत पर पड़ते हैं इस का ईलाज और मुदावा मुम्किन नहीं हैनाक़िस और ग़ैर तग़ज़िया बख़श ख़ुराक की वजह से बच्चों की ज़हनी सलाहीयत पर बुरा असर पड़ता है नतीजा में तालीमी सलाहीयत कमज़ोर पड़ जाती है ।

यहां NESTLE न्यूट्रीशन इंस्टीटियूट के ज़ेर-ए-एहतिमाम ग्लोबल वर्कशॉप में बच्चों की देख भाल के माहिरीन ने मुबाहिस में इन तास्सुरात का इज़हार किया । दिन भर जारी रहे मुबाहिस में बच्चों की परवरिश और उन्हें मुनासिब तग़ज़िया बख़श ख़ुराक की फ़राहमी की एहमीयत को उजागर किया गया । इस वर्कशॉप में बच्चों की सेहत और देख भाल के शोबा के तक़रीबनएक सौ माहिरीन ने हिस्सा लिया । जिन का ताल्लुक़ दुनिया के मुख़्तलिफ़ ममालिक से है । माओ और बच्चों को तग़ज़िया बख़श ख़ुराक की फ़राहमी , कम वज़न के बच्चों की पैदाइश , जैसे मौज़ूआत पर मुबाहिस हुए । वर्कशॉप में हामिला ख़वातीन की बेहतर देख भाल पर ख़ास तवज्जा मर्कूज़ की गई ।

माहिरीन ने ख़्याल ज़ाहिर किया कि अगर हामिलाख़ातून ख़ून की कमी से मुतास्सिर हो तो इस से बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है । बताया गया कि कम वज़न के बच्चों की पैदाइश कम और औसत आमदनी वाले ग्रुपस का सब से संगीन मसला है आलमी सेहत तंज़ीम WHO ने तास्सुर ज़ाहिर किया कि बच्चों की ज़िंदगी के इबतिदाई एक हज़ार दिनों में ग़ैर तग़ज़िया बख़श ख़ुराक के मुज़िर और मनफ़ी असरात मुरत्तिब हो रहे हैं