हारदीक पटेल के ख़ुतूत इरसाल करने पर पाबंदी

एक सैशन कोर्ट ने आज लाज पूर से जेल हुक्काम को एक नोटिस जारी करते हुए ये दरयाफ़त किया है कि तहरीक तहफ़्फुज़ात के लीडर हारदीक पटेल के तहरीर करदा ख़ुतूत को बाहर इरसाल करने की इजाज़त क्यों नहीं दी जारही है जो कि इन दिनों बग़ावत के इल्ज़ाम में महरूस हैं।

प्रिंसिपाल सैशन जज गीता गोपाल ने ये नोटिस उस वक़्त जारी की जब हरदीक पटेल ने अदालत में ये शिकायत की कि जेल हुक्काम उनके तहरीर करदा ख़ुतूत को जेल के बाहर दूसरों के हवाले करने से रोक दिया , जब उन्हें अदालत में पेश करने के लिए ले जा रहे थे। हारदीक के वकील यशवंत सिन्हा वाला ने बताया कि देढ़ माह पहले जोडिशील मजिस्ट्रेट फ़स्ट क्लास ने हारदीक को ख़ुतूत भेजने की इजाज़त देदी थी, उसके बावजूद जेल हुक्काम ने ये पाबंदी आइद कर दी है।

उन्होंने ये भी शिकायत की कि हारदीक को जेल में चप्पल पहने से भी रोक दिया गया। अदालत में नंगे पैर लाया जा रहा है। हारदीक ने ये शिकायत ऐसे वक़्त की है जबकि पुलिस ने 5 दिन क़बल उनकी तहवील से एक ख़त और मोबाईल चार्जस और बैट्री ज़ब्त करली थी। उन्हें दूसरे केस में वसीह नगर कोर्ट ले जाते वक़्त स्कार्ट ने ये कार्य‌वाई थी।

पुलिस ने गीता गोपी की अदालत में एक और हलफनामा दाख़िल करते हुए हारदीक पटेल की दरख़ास्त ज़मानत की मुख़ालिफ़त की है और ये उज़्र पेश किया कि हरदीक पटेल की ज़ेरे क़ियादत पायदार-ओ-अमानत आंदोलन समीती के कारकुनान ने एहतेजाजी तीरीक के दौरान हुजूम को तशद्दुद के लिए उकसाया था जिसके नतिजे में आरटीसी बसों को नज़र-ए-आतिश कर दिया गया है और हारदीक पटेल की ज़मानत मंज़ूर की गई तो फिर एक-बार अमन-ओ-क़ानून का मसला पैदा हो सकता है। लिहाज़ा अदालत से दरख़ास्त है कि हार्दिक ज़मानत को नामंज़ूर कर दिया जाये|