इस्लामॉफ़ोबिआ से लड़ने के मद्दे नज़र अमेरिकी कोर्ट के ऐसे मामलो का संकलन शुरू कर दिया गया है जो इस्लामिक कानून से जुड़े है|
जैसा की आप जानते है की पिछले कुछ समय से अमेरिकी समाज को इस्लामॉफ़ोबिआ(इस्लाम का भय) ने जकड़ा हुआ है, इस बात को ध्यान में रखते हुए हार्वर्ड लॉ स्कूल ने “प्रमुख अनुसंधान कार्य (फ्लैगशिप रिसर्च वेंचर)” की शुरुवात की है जिसका उद्देश्य इस्लामी कानून पर दुनिया की जानकारी को व्यवस्थित करना है|
इस परियोजना के तहत शोध्कर्ताओ, जौर्नालिस्ट और निति निर्माताओं के लिए एक सुचना संग्रह तैयार किया जायेगा जो सबके लिए निशुल्क होगा, शेरोन ताई, शरीयासोर्स की शोध संपादक ने एक इंटरव्यू में मिडिल ईस्ट ऑय अख़बार को बताया|

शरीयासोर्स दुनिया भर के न्यायालयों में आये ऐसे मामलो पर विद्वत्तापूर्ण विचार-विमर्श करेगा जो सीधे तौर राज्य और शरीया के कानून से सम्बन्ध रखते है और इसे अमेरिका के परिपेक्ष में समझा जायेगा |
‘ताई’ बताती है की ” इस्लामिक कानून को आमतौर पर ऐसे देखा जाता है जैसे वह गुप्त और अभेद है| इधर ऐसी धारणा है की शरीयत में कोई तर्क नहीं है क्योकि यह धर्मशास्र से जुड़ा है, लेकिन वास्तव में इसके पीछे बिलकुल साफ़ तर्क दिखाई देते है| जिस तरह से इसे ऐतिहासिक रूप से निर्धारित किया गया है, यह उन समाजों के लिए बहुत कारगर सिद्ध हुआ, जिसमें यह लागू किया गया था।”
यह परियोजना करीब एक दक्षक पहले हार्वर्ड लॉ स्कूल के प्रोफेसर और इस्लामिक लीगल स्टडीज प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ. इन्तिज़ार रब्ब, की सोच से शुरू हुई थी जिसने कुछ साल पहले ही फलना शुरू किया है|
इस परियोजना की विस्तृत जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करे: http://ilsp.law.harvard.edu/shariasource/