हिंदुस्तान दुनिया का भरोसा खो चुका है : रतन टाटा

नई दिल्ली, 29 अगस्त: (एजेंसी) रतन टाटा (Industrialist) ने मुल्क के मौजूदा इक्तेसादी बोहरान के लिए पूरी तरह मर्कज़ी हुकूमत को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

तल्ख तब्सिरा टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान ने दुनिया का भरोसा खो दिया है और हुकूमत इसे पहचानने में बहुत सुस्त रही है।

रतन टाटा ने एक निजी टेलीविजन चैनल से इंटरव्यू में कहा कि हुकूमत प्राइवेट सेक्तर के अपने फायदे के लिए दबाव में आ गई और इसकी वजह से पालिसीयों में बदलाव, देरी और जोड़तोड़ की गई है।

घरेलू इकोनोमी में कमजोर होते सरमायाकारो ( (Investrors) के भरोसे पर वज़ीर ए आज़म की चुप्पी पर टाटा ने कहा कि वज़ीर ए आज़म मनमोहन सिंह हिंदुस्तान के वकार को ऊपर तक ले गए लेकिन मौजूदा वक्त में हम वह वकार खो चुके हैं।

हम दुनिया का भरोसा खो चुके हैं। हुकूमत इसे पहचानने में बहुत धीमी रही है। रतन टाटा पिछले दिसंबर में टाटा ग्रुप के चेयरमैन के ओहदे से रिटायर हुए थे।

रतन टाटा ने कहा कि जो पालिसी बनाई गई हैं अगर उन्हें मूसिर (Effective) बनाया जाता है, तो यह मुल्क के लिए अच्छा होगा।

मनमोहन सिंह और उनकी इसी टीम ने 1991 के इक्तेसादी इस्लेहात के लिए सख्त कदम उठाए गए थे। मुल्क के मौजूदा इक्तेसादी बोहरान के लिए रतन ने कियादत ( Leadership) की कमी को भी जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा कि मुल्क में लीडरशिप की कमी है। हमें ऐसा लीडर चाहिए जो आगे आकर कियादत कर सके।

हालांकि, उन्होंने कहा कि वह वज़ीर ए आज़म मनमोहन सिंह की बहुत इज़्ज़त करते हैं। हुकूमत में शामिल लोग कई सिम्त में काम रही है जबकि, सभी को मिलकर काम करना चाहिए।

गुजरात के वज़ीर ए आला नरेंद्र मोदी की कियादत पर रतन टाटा ने कहा, ‘मेरा मानना है कि उन्होंने अपनी लीडरशिप को साबित किया और गुजरात को कामयाबी की ऊंचाइयों तक ले गए। लेकिन वह मुल्कके लिए क्या कर सकते हैं, इस पर मैं कुछ नहीं कह सकता।’