मद्रास: सोचिये वो देश कैसा होगा जहां लोगों को इंसाफ दिलाने वाले जज के साथ भी धर्म और जात के नाम पर भेदभाव और बुरा बर्ताव होता हो। उस देश के कानून पर आप क्या यकीन कर पाएंगे ??
आज के हिंदुस्तान की अगर बात करें तो हालात कुछ ऐसा माहौल ही बयान कर रहे हैं और न सिर्फ आम जनता बल्कि देश की आला दर्जे के अफसर भी जातपात के नाम पर काफी कुछ झेलते हैं। ऐसे ही एक शख्श हैं मद्रास हाईकोर्ट के जज जस्टिस सी.एस. करनन जिन्होंने एक नीची जाति से होने की कीमत अपने कोर्ट में कई तरह की परेशानियां झेल कर चुकाई है।
देश की एक बहुत ऊंचे औहदे पर काम करने के बावजूद करनन जात पात से इस कदर परेशान हैं कि उन्होंने मीडिया के सामने अपना दुखड़ा रोते हुए यह तक कह डाला कि मैं शर्म महसूस करता हूँ कि मैं एक ऐसे देश में पैदा हुआ हूँ जहाँ जात पात आज भी मौजूद है।
करनन ने कहा: ” भारत एक जातिवादी देश है, जात के नाम पर यहां आज भी भेदभाव होते हैं। मैं शर्मिंदा हूँ कि मैं इस देश में पैदा हुआ हूँ। मैं किसी ऐसे देश में जाकर रहना चाहता हूँ जहां जातपात नाम की कोई चीज़ न हो। “
कोर्ट में आयीं परेशानियों को बयान करते हुए करनन ने कहा कि वह बेक़सूर हैं और उन्हें तब से बिना वजह से तंग किया जा रहा है जब से उन्होंने कुछ ऊंची जाति के जजों के काम करने के तरीके पर सवाल उठाये हैंl
आपको बता दें कि पिछले हफ्ते जजों के एक पैनल जिसकी अगुवाई चीफ जस्टिस कर रहे थे ने फैसला किया कि करनन की बदली कलकत्ता हाई कोर्ट की कर दी जाए। करनन के लिए मद्रास हाई कोर्ट में काम करना पिछले साल से ही मुश्किल हो रखा था जब से उन्होंने कुछ जजों की कारुजगारी पर सवाल उठाये थे। उसके बाद से ही उन्हें मानसिक तौर पर परेशान किया जाने लगा जिसकी वजह से उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य जज संजय कौल पर भी आरोप लगाये थे।