हिंदुस्तान ने आज सार्क में दाख़िली महकमाजाती इस्लाहात की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और कहा कि पालिसीयों का एक वाज़ेह मजमूआ पेश किया जाना चाहीए जिस की नोईयत सार्क के ममालिक के दरमयान बाहमी रवाबित पर और सार्क के मुबस्सिरीन के मौक़िफ़ की वज़ाहत पर होनी चाहीए। वज़ीरे ख़ारजा सलमान ख़ुरशीद ने तस्लीम किया कि बहैसीयत मजमूई हमारी पेशरफ़्त की सिम्त मुसबत है।
8 रुक्नी ग्रुप को ज़रूरत है कि वो तेज़ रफ़्तार पेशरफ़्त करे और सार्क के दायरेकार के अंदर हमारे तआवुन में तहरीक पैदा करे। सार्क के जामे मुताला के इजलास से ख़िताब करते हुए जिस का एहतेमाम सार्क की सेक्रेट्रीएट ने किया था ताकि महकमाजाती इस्लाहात का नाक़िदाना जायज़ा लेने की अहमीयत पर ज़ोर दिया जाए।
मालदीप के दारुल हुकूमत माले में सार्क चोटी कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए वज़ीरे ख़ारजा सलमान ख़ुरशीद ने कहा कि सार्क के लिए ज़रूरी है कि वो अपने शरीककार ममलिकतों के साथ अपने रवाबित की सिम्त, नोईयत और अंदाज़े फ़िक्र की वज़ाहत करे।
इस के इलावा मुबस्सिरीन का मौक़िफ़ रखने वाले ममालिक के साथ ताल्लुक़ात की भी वज़ाहत की जाए। उन्हों ने कहा कि आईए हम मिल जुल कर काम करें ताकि अज़ीमतर तवानाई इस तंज़ीम को फ़राहम कर सकें।
उसे ज़्यादा इर्तिकाज़ का हामिल बना सकें जो हमारे बुनियादी मक़ासिद पर तवज्जा मर्कूज़ करे और इजतिमाई तौर पर तमाम सरहदें तोड़ दें जो हमारे रास्ता की रुकावट हैं।