हिंदूस्तानी अफ़्वाज में मुस्लिम ख़वातीन हिजाब इख़तियार करने आज़ाद

नई दिल्ली, २९ दिसम्बर: (एजैंसीज़) वज़ारत-ए-दिफ़ा के तहत सैमीनार से ख़िताब करते हुए हिंदूस्तानी वज़ीर-ए-दिफ़ा और आर्मी चीफ़ ने कहा कि हिंदूस्तानी आर्मी , नेवी और एयरफ़ोर्स में आला ओहदों पर मुस्लमान ख़वातीन के लिए हिजाब में रह कर अपने फ़राइज़ अंजाम देने के मुताल्लिक़ सदर जमहूरीया प्रतिभा पाटल ने ताअज़ीरात-ए-हिंद के तहत काम करने की इजाज़त दी है।

हिजाब एक मज़हबी मुआमला है। हिंदूस्तानी अफ़्वाज ने सुप्रीम कोर्ट में जाने वाली एक एयरफ़ोर्स की मुलाज़िम अज़्रा बेगम की दरख़ास्त पर फ़ैसला दिया था कि मुस्लमान ख़ातून को हिजाब से ना रोका जाई। हिंदूस्तान एक सैकूलर मुल्क है लेकिन हर मज़हब के मानने वालों के रस्म-ओ-रिवाज और फ़राइज़ में मुदाख़िलत करना जमहूरीयत के लिए नुक़्सानदेह हो सकता है।

मुस्लमान ख़वातीन को फ़ौजी क़वानीन के तहत अपने हिजाब का एहतिमाम करने की आज़ादी है।

उन्हों ने कहा कि ख़वातीन फ़ौजीयों की बैरक्स में मर्दों के दाख़िले पर पाबंदीयां बरक़रार हैं, कोई सीनीयर तन्हा अपने ऑफ़िस में अपनी मातहत को नहीं बुला सकता। काम के दौरान टाप सीक्रेट मूमैंट में भी चार से ज़ाइद अफ़राद का होना लाज़िमी है। आर्मी चीफ़ का दावा है कि हिंदूस्तानी अफ़्वाज में योरोपी ममालिक की तरह ख़वातीन के स्कैंडल्स नहीं हैं।

इलावा अज़ीं ना सिर्फ फ़ौज बल्कि शहरी ज़िंदगी में भी ख़वातीन के हिजाब पर हुकूमत ने ना कभी पाबंदी आइद की थी और ना कभी करेगी, लिहाज़ा अगर इस फ़ैसले से दुनिया के दीगर ममालिक को भी एक मुसबत पैग़ाम मिलता है तो ये एक अच्छी अलामत है।