हिंदूस्तान की अक़ल्लीयत से मुताल्लिक़ (संबंधित) मसाइल(समस्यायें)पेचीदा लेकिन काबिल हल हैं । क्योंकि यहां मुस्तहकम जमहूरी इरादे क़ायम हैं । मर्कज़ी वज़ीर बराए अक़ल्लीयती उमूर(Union Minority Affairs) सलमान ख़ुरशीद ने आज कहा कि उन्हें मुल्क में अक़ल्लीयतों ( अल्पसंख्यको) के मौक़िफ़ पर चुभते हुए सवालात का सामना करना पड़ता है ।
वो ग़ैरमुल्की सहाफ़ीयों के साथ तबादला-ए-ख़्याल कर रहे थे । इस मौक़ा पर ख़लीजी ममालिक (खाड़ी देश) और वाना (मग़रिबी एशिया और शुमाली अफ़्रीक़ा) के सहाफ़ी उन की क़ियामगाह पर मौजूद थे । सलमान ख़ुरशीद से सवाल किया गया था कि लोक सभा और राज्य सभा में कितनी नशिस्तें ( सीटें) अक़ल्लीयती तबकों ( अल्पसंख्यक वर्ग) से ताल्लुक़ रखने वाले अफ़राद को हासिल हैं ।
इन से इस सवाल का जवाब भी तलब किया गया कि गुजरात में माबाद गोधरा फ़सादाद और 1992 में बाबरी मस्जिद की शहादत के बाद जो मसाइल (समस्यायें) पैदा हुए थे उन के सिलसिले में क्या कार्रवाई की गई । एक घंटा तवील तबादला-ए-ख़्याल के दौरान सलमान ख़ुरशीद ने हिंदूस्तान की पालिसीयों और अक़ल्लीयतों की फ़लाह-ओ-बहबूद-ओ-बहैसीयत मजमूई ( कुल मिला कर ) तरक़्क़ी के लिए स्कीमों की तफ़सीलात ब्यान कीं ।
ज़राए इबलाग़ के वफ़द ने जिस में मिस्र और तीवनस के सहाफ़ी ( पत्रकार) भी शामिल थे जहां हालिया अर्सा में बड़े पैमाने पर सयासी । समाजी तबदीलीयां आ चुकी हैं , वज़ीर ए अक्क़लीयती उमूर से अक़ल्लीयतों से मुताल्लिक़ ( संबंधित) कई मसाइल( समस्याओं) पर वसीअतर तबादला-ए-ख़्याल किया, अक्सरीयत और अक़ल्लीयती तबक़ात के दरमयान एक सैक्यूलर ( धर्म निरपेक्ष) जमहूरी हिंदूस्तान में ताल्लुक़ात से मुताल्लिक़ सवालात किए।
वो ये भी जानना चाहते थे कि एक तकसीली मुआशरा में कैसे हालात पैदा होते हैं और हालात पेचीदा होने की सूरत में इन से कैसे निपटा जाता है।खासतौर पर जबकि तबक़ात के दरमयान झड़पें होती हैं । सलमान ख़ुरशीद ने वफ़द ( प्रतिनिधी मंडल) से कहा कि मुस्तहकम हिंदूस्तानी जमहूरी इदारे अवाम की उम्मीदों को तबदील करते हैं और उन की शिकायत की यकसूई ( हल) करते हैं जिस की वजह से कोई वज़ाहत ज़रूरी नहीं होती ।