हिंदूस्तानी मुस्लमान अपनी बक़ा के लिए कोशां: सर्वे

नई दिल्ली २१ दिसम्बर: ( एजैंसीज़) एक ताज़ा तरीन सर्वे के मुताबिक़ हिंदूस्तानी मुस्लमानों की एक तिहाई आबादी ऐसी है जो हिन्दुओं की अक्सरीयत वाले मुल्क में अपनी बक़ा के लिए मुसलसल जद्द-ओ-जहद कर रही है । ये एक तिहाई आबादी ऐसी है जिसे कई दहाईयों से समाजी और मआशी तौर पर नज़र अंदाज किया जा रहा है ।

अबूज़हबी के गैलिप सैंटर के सीनीयर तजज़िया निगार और डायरेक्टर-ओ-आलीया मग़ाहद ने इमारात के अख़बार दी नैशनल को ये बात बताई जिस के ज़रीया ये वाज़िह किया गया है कि किस तरह हिन्दू अक्सरीयत वाले हिंदूस्तान में मुस्लमानों को अपनी बक़ा केलिए जद्द-ओ-जहद करनी पड़ रही है ।

सर्वे के मुताबिक़ मुस्लमानों की एक तिहाई आबादी ग़ुर्बत और नाख़्वान्दगी का शिकार है और इंतिहाई मुश्किल हालात में अपनी ज़िंदगी गुज़ार रही है । दूसरी तरफ़ जामिआ मुलिया इस्लामीया के इंडिया अरब कल्चरल सैंटर के डायरेक्टर ज़िक्र अलरहमन का कहना है कि मुस्लमानों में अब अपर मिडल क्लास जैसा कोई ज़मुरा नहीं रहा ।

इस तजज़ईए के दौरान जब मुस्लमानों से उन के ख़्यालात मालूम किए गए तो 47 फ़ीसद मुस्लमानों ने कहा कि उन्हें अपनी मौजूदा आमदनी के पस-ए-मंज़र में ज़िंदगी गुज़ारना बेहद मुश्किल है । ये निसबत इस के सिर्फ 39 फ़ीसद हिन्दुओं ने मुश्किल हालात की शिकायत की ।

यहां इस बात का तज़किरा भी ज़रूरी है कि सर्वे के दौरान कई मुस्लमानों ने ये शिकायत की थी कि उन्हें मआशी समाजी तौर पर नज़रअंदाज भी किया जाता रहा है जिस का सिलसिला आज भी जारी है ।

जहां तक सरकारी मुलाज़मतों का सवाल है तो मुस्लमानों की तादाद आटे में नमक के बराबर है जिस का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि महिकमा रेलवेज़ में मुस्लमानों की सिर्फ 5 फ़ीसद नुमाइंदगी , बैंकिंग के शोबा में सिर्फ 4 फ़ीसद जबकि हिंदूस्तानी अफ़्वाज में मुस्लमानों की जुमला तादाद सिर्फ 29000 है ।

हालाँकि हिंदूस्तानी अफ़्वाज 1.3 मिलीयन फ़ौजीयों पर मुश्तमिल है । सच्चर कमेटी रिपोर्ट में भी मुस्लमानों की हालत-ए-ज़ार पर काफ़ी तशवीश का इज़हार किया जा चुका है लेकिन इस की यकसूई के इक़दामात नाकाफ़ी हैं । बच्चों को अपने ख़ानदान की कफ़ालत केलिए तालीम अधूरी छोड़नी पड़ती है और ये तरीक़ा ग़रीब मुस्लमानों में आम है ।