हिंदूस्तान को पसंदीदा मुल्क का मौक़फ़

पाकिस्तान की जानिब से एक तवील इंतिज़ार के बाद बिलआख़िर हिंदूस्तान को तिजारत के मुआमला में इंतिहाई पसंदीदा मुल्क का मौक़फ़ देदिया गया है । पाकिस्तान के साथ तिजारत को मज़ीद फ़रोग़ देने और इस में इज़ाफ़ा केलिए हिंदूस्तान का मुसलसल इसरार था कि उसे इंतिहाई पसंदीदा मुल्क का मौक़फ़ अता किया जाय ।

पाकिस्तानी हुकूमत इस ताल्लुक़ से रजामंदी का भी इज़हार कर रही थी ताहम बाअज़ अवामिल और दाख़िली मजबूरीयों की वजह से वो ऐसा करने से क़ासिर थी । हालिया अर्सा में ऐसा लगता है कि पाकिस्तान में सयासी क़ियादत की जानिब से हिंदूस्तान के साथ ताल्लुक़ात को बेहतर बनाने के मुआमला में कुछ हद तक संजीदगी पैदा हुई है ।

ये संजीदगी भी ताहम सियोल मुआमलात तक महिदूद दिखाई देती है । गुज़शता दिनों जब एक हिंदूस्तानी हैलीकाप्टर ग़लती से पाकिस्तान के फ़िज़ाई हदूद में दाख़िल होगया था और उसे पाकिस्तान में उतार लिया गया था इस के बाद पाकिस्तान ने इस ग़लती को महसूस करते हुए हिंदूस्तानी हैलीकाप्टर को हिंदूस्तान वापिस रवाना करदिया था । हिंदूस्तान ने पाकिस्तान के इस इक़दाम की सताइश की थी और कहा था कि इस से हिंदूस्तान-ओ-पाकिस्तान के माबैन एतिमाद की बहाली के इक़दामात को आगे बढ़ाने और मुस्तहकम करने में मदद मिलेगी ।

इस इक़दाम के एक हफ़्ता के अंदर ही पाकिस्तान दूसरी मर्तबा हिंदूस्तान के तईं अपने रवैय्या में तबदीली का इशारा दिया है और इस ने हिंदूस्तान को तिजारत के मुआमला में इंतिहाई पसंदीदा मुल्क का मौक़फ़ अता किया ही। हिंदूस्तान की जानिब से पाकिस्तान के इस इक़दाम की सताइश की गई है और इस उम्मीद का इज़हार किया गया है कि पाकिस्तान के इस इक़दाम से दोनों मुल्कों के माबैन तिजारत को बेहतर बनाने और फ़रोग़ देने की कोशिशों में मदद मिल सकती है । इस बात की भी उम्मीद ज़ाहिर की गई है कि पाकिस्तान के इस इक़दाम के नतीजा में दोनों मुल्कों के माबैन सयासी ताल्लुक़ात को बेहतर बनाने की सिम्त भी कुछ हद तक पेशरफ़त मुम्किन होसकती है ।

सयासी ताल्लुक़ात में बेहतरी की उम्मीद के साथ ये बात क़तईयत से कही जा सकती है कि दोनों मुल्कों के माबैन तिजारत में इज़ाफ़ा होगा और ये मौजूदा मालियत से तीन गुना तक बढ़ जाएगी । इस से यक़ीनी तौर पर दोनों मुल्कों के माबैन एतिमाद को बहाल करने की दोनों मुल्कों की कोशिशों में मदद मिल सकती है । मौजूदा हालात में पाकिस्तान की जानिब से हिंदूस्तान को पसंदीदा क़ौम का मौक़फ़ दिया जाना एक तरह से हिंदूस्तान के ताल्लुक़ से इस के रवैय्या में तबदीली का इशारा भी होसकता है ।

खासतौर पर ऐसे हालात में जबकि चंद ही दिन क़बल हिंदूस्तान के एक हैलीकाप्टर को भी पाकिस्तानी फ़िज़ाई हदूद की ख़िलाफ़वरज़ी के बावजूद वापिस भीजदया गया था । ये दोनों इक़दामात अंदरून एक हफ़्ता हुए हैं जिस से पाकिस्तान के रवैय्या में तबदीली का इशारा और भी वाज़िह होजाता है । अब जबकि हिंदूस्तान को इस के देरीना मुतालिबा के तहत तिजारत के मुआमला में इंतिहाई पसंदीदा मुल्क का मौक़फ़ देदिया गया है तो ऐसे में तिजारत में जो फ़रोग़ होगा इस से दोनों मुल्कों को फ़ायदा होसकता है ।

एक दूसरे की तिजारती ज़रूरीयात की तकमील यक़ीनी तौर पर दोनों मुल्कों को एक दूसरे के ताल्लुक़ से शकूक-ओ-शुबहात को दूर करने में मुआविन साबित होसकती है । अवामता अवाम राबतों में इज़ाफ़ा होसकता है और दोनों मुल्कों के तिजारती हलक़ों के ताल्लुक़ात में बेहतरी और इस्तिहकाम हासिल होगा । हालिया तबदीलीयों के नतीजा में दोनों मुल्कों के माबैन कुछ मुशतर्का वेंचर्स या प्राजेक्टस शुरू किए जाने की राह भी हमवार होसकती है । तिजारत के फ़रोग़ से दोनों मुल्कों को एक दूसरे की ज़रूरीयात समझने में मदद मिल सकती है ।

इस के इलावा अहम पहलू ये भी है कि जब एक दूसरे से तिजारती मुफ़ादात वाबस्ता होजाएं तो इस को बरक़रार रखने और उन्हें मुस्तहकम करने केलिए भी इक़दामात करने की ज़रूरत होगी । तिजारती मफ़ादात को देखते हुए सयासी इख़तिलाफ़ात को ख़तम करने केलिए भी संजीदा कोशिशों की ज़रूरत का एहसास ज़रूर पैदा होसकता है ।

पाकिस्तान को मौजूदा हालात में अपने रवैय्या को और भी वाज़िह और बेहतर ज़ाहिर करने केलिए सयासी इख़तिलाफ़ात के तईं भी अपनी संजीदगी का इज़हार करना चाहीए और ये कोशिश की जानी चाहीए कि जिस तरह से तिजारती ताल्लुक़ात को बेहतर बनाने की कोशिशों का अमली तौर पर आग़ाज़ हुआ है इसी तरह से सयासी इख़तिलाफ़ात को भी ख़तम करने केलिए पूरी संजीदगी से कोशिशों का आग़ाज़ किया जाय ।

पाकिस्तान ने हालिया जो इशारे दिए हैं वो ख़ुश आइंद ज़रूर कहे जा सकते हैं लेकिन इस हक़ीक़त से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि ये ताल्लुक़ात को बेहतर बनाने की सिम्त और पाकिस्तान की संजीदगी के इज़हार का सिर्फ नुक़्ता आग़ाज़ है । इस से जहां हालात को बेहतर बनाने की उम्मीदें तक़वियत पाती हैं वहीं ये भी कहा जा सकता है कि इस से तमाम इख़तिलाफ़ात की यकसूई का दावे नहीं किया जा सकता । इस के लिए पाकिस्तान को अभी एक तवील सफ़र तए करना होगा और सयासी फ़ैसला साज़ी केलिए हौसलामंदी का मुज़ाहरा करना भी ज़रूरी होगा ।

जब तक पाकिस्तान अपनी हुकूमत और इंतिज़ामीया में ऐसे अनासिर पर क़ाबू नहीं पाता जो मुख़ालिफ़ हिंद रवैय्या रखते हैं उस वक़्त तक इस तरह की कोशिशों की कामयाबी मशकूक ही कही जा सकती है । इन अनासिर पर क़ाबू पाना पाकिस्तानी हुकूमत केलिए मुश्किल ज़रूर है लेकिन उसे नामुमकिन क़रार नहीं दिया जा सकता । अब जो ख़ुश आइंद शुरूआत हुई है इस को पाया-ए-तकमील तक पहूँचाने केलिए सयासी अज़म-ओ-हौसला और फ़ैसला साज़ी का इज़हार ज़रूरी है ।