अपने तबसरों की बिना पर तन्क़ीद का सामना करने वाले मआशी मुशीर आला कोशिक बासू ने एहसास ज़ाहिर किया कि हिंदूस्तान आइन्दा 6 माह में बाज़ अहम मआशी इस्लाहात बशमुल रियायतें और और डीज़ल को जुज्वी तौर पर कंट्रोल से बाहर कर देना और रीटेल शोबा में रास्त गिर मुल्की सरमाया कारी के सिलसिले में, करसकता है।
ताहम उन्हों ने एहसास ज़ाहिर किया कि सब से बड़ी इस्लाह अशीया और ख़िदमात टैक्स में की जानी चाहिऐं क्योंकि इस से मौजूदा निज़ाम पर मनफ़ी असर मुरत्तिब नहीं होगा। कोशिक बासू ने बूधवार के दिन ये तब्सरा करते हुए कि हिंदूस्तान में बड़े पैमाने पर कोई इस्लाही कार्रवाई 2014-ए-के इंतेख़ाबात तक नामुमकिन है, एक हंगामा खड़ा कर दिया था और सख़्त तन्क़ीद का निशाना बन गए थे। उन्हों ने आज कहा कि आइन्दा 6 माह में जो इस्लाहात मुम्किन हैं उन्हें उम्मीद है कि इस में रियायतों की इस्लाहात शामिल होंगी।
उन्हों ने कहा कि वो अपने बजट में मर्कज़ी वज़ीर फेनान्स से इस सिल्सिले में तबाद्ला-ए-ख़्याल करचुके हैं और कोशिश करेंगे कि यूटी डी सिस्टम जो हिंदूस्तान तैयार कर रहा है ताकि इस के ज़रीया रियायतों के बारे में इस्लाही इक़दामात का अफ़्शां ना होसके, उन के तब्सरों से ग़ैर मुतास्सिर रहेगा।वो पी टी आई को इंटरव्यू दे रहे थे।
उन्हों ने कहाकि रीटेल शोबा में कसीर क़ौमी ग़ैर मुल्की कंपनीयों की रास्त सरमाया कारी के बारे में 100 फ़ीसद यक़ीन के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता ताहम उन का एहसास है कि ये इस्लाहात भी की जाएंगी। हिंदूस्तानी काश्तकारों और छोटे पैदावार कूनिनदों को इस के इलावा काफ़ी फ़ायदा पहुंचेगा। और सरमाया कारों का एतिमाद बहाल होगा।