हिंदूस्तान में पैदावार इन्हितात (कमी) का शिकार

हिंदूस्तान में पैदावारी सलाहीयत इन्हितात (कमी) का शिकार हो रही है, यू पी ए हुकूमत की नाक़िस पालिसीयों, स्क़ामस और रिश्वत सतानी के वाक़ियात ( घटनायें) ने सनअती ज़रई और दीगर ( दूसरे) शोबों की पैदावार को घटा दिया है। मुल्क की कंपनीयों में वर्क फ़ोर्स की सलाहीयतों को ज़ंगआलूद बनाने वाले वजूहात में हुकूमत की कारकर्दगी को बड़ा दख़ल हासिल है।

हालिया महीनों के पैदावारी फ़ीसद का जायज़ा लेने वालों को बड़ी मायूसी हुई है। हुकूमत में फ़ैसला साज़ी के फ़ुक़दान ने कई सनअतों की कारकर्दगी को भी मफ़लूज ( अपंग) बना दिया है। पैदावार असास पर मुल़्क की पैदावारी सलाहीयतों का जायज़ा लेने वालों ने ये अफ़सोसनाक नोट लिया है कि स्क़ाम्स और रिश्वत सतानी के बाज़ार में ताजिर बिरादरी, एक वज़ारत से दूसरी वज़ारत की बदउनवानी ( नियम के खिलाफ) से ख़ाइफ़ ( डर कर) होकर दूर भाग रही है।

हिंदूस्तान में सरमाया कारी करने वाले मुल्कों की हालत भी ठीक नहीं है। आलमी बोहरान ने भी हिंदूस्तान की सनअती पैदावार पर रोक लगा दी है। इस हक़ीक़त के बावजूद हुकूमत मुल्क के अवाम को गुमराह करते हुए ये तवक़्क़ो ज़ाहिर कर रही है कि इस मालीयाती साल के दौरान बरामदात में 24 फ़ीसद फ़र्क़ ना होगा जबकि 31मई को जारी कर्दा ताज़ा डाटा से ज़ाहिर होता है कि अंदरून-ए-मुल्क मजमूई पैदावार GDP चौथे हिस्सा में गिर कर 5.3 फ़ीसद हो गई है।

जबकि हिंदूस्तान की पैदावारी सलाहीयतों का निशाना 5.7-6.4 मुक़र्रर किया गया था। साल 2011-12 के लिए 6.5 फ़ीसद पैदावारी सलाहीयत का निशाना मुक़र्रर करने वाली हुकूमत को इस गिरावट को रोकने के लिए फ़ौरी तवज्जा देने की ज़रूरत है। क्योंकि हिंदूस्तानी मईशत (जीविका) में आने वाले इन्हितात (कमी) के लिए हुकूमत की ग़ैर कारकर्द पालिसी को ज़िम्मेदार टहराया जा रहा है।

जुमेरात के दिन जारी कर्दा GDP डाटा हुकूमत की बेदारी का मुतक़ाज़ी है।वज़ीर फायनेंस परनब मुकर्जी क़ौम को सिर्फ दिलासा दे रहे हैं कि अच्छे हालात बहुत जल्द लौट आयेंगे लेकिन हक़ीक़त इसके ऐन बरअक्स ( विपरीत/ उल्टा) है।