मुंबई। 9 मार्च (पी टी आई) मर्कज़ी वज़ीर-ए-क़ानून अश्वनी कुमार ने आज कहा कि ताज़ा तरीन आर्डीनैंस में किसी शौहर और बीवी के दरमियान ज़बरदस्ती जिन्सी-ओ-जिस्मानी ताल्लुक़ को इस्मतरेज़ि की तरह जुर्म के तौर पर शामिल ना किए जाने की एक अहम वजह ये भी है कि चंद दीगर जमहूरी ममालिक के बरख़िलाफ़ हिंदूस्तान में शादी को कोई कौंटरेक्टा तसव्वुर नहीं किया जाता।
मिस्टर अश्वनी कुमार ने आज यहां इंडियन मरचैंटस चैंबर्स के ज़ेर-ए-एहतिमाम मुनाक़िदा तक़रीब से ख़िताब करते हुए कहा कि क़ानून को चाहीए कि वो असर-ए-हाज़िर के हक़ीक़तों को उजागर करे। मिस्टर कुमार ने कहा कि महज़ किसी एक बात को ज़हन में रखते हुए क़ानूनी तदवीन या तरमीम नहीं की जा सकती बल्कि कुछ इस अंदाज़ में क़ानून बनाया जाये कि वो कई दहाईयों तक तमाम इक़साम के मुताल्लिक़ा मुक़द्दमात का अहाता करसके।
क़ानून से समाज की हक़ीक़तों की अक्कासी होनी चाहीए। इससे मुल्क को पसेपुश्त होने में नहीं बल्कि आगे बढ़ने में मदद मिलनी चाहीए। जिन्सी जराइम से मुताल्लिक़ तरमीम शूदा क़वानीन पर मबनी ताज़ा तरीन वज़ा करदा फ़ौजदारी (तरमीमी) क़ानून आर्डीनैंस के बारे में उन्होंने कहा कि सर दस्त हम ने अज़दवाजी इस्मतरेज़ि को मुख़्तलिफ़ वजूहात की बुनियाद पर इस आर्डीनैंस में शामिल नहीं किया है।
जिन में एक वजह ये भी है कि चंद दूसरे जमहूरी मुल्क के बरख़िलाफ़ हमारे मुल्क में शादी को कोई कौंटरेक्ट या समझौता तसव्वुर नहीं किया जाता। ताहम अगर कोई बीवी अपने शौहर से अलैहदा होचुकी है और (बीवी) पर कोई जिन्सी हमला किया जाता है तो इस शौहर के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा दर्ज किया जा सकता है।