हिंदूस्तान, समाजी तरक़्क़ी में चीन से पीछे

पुने, ०८ जनवरी (पी टी आई) नोबल ईनाम-ए-याफ़्ता माहिर मआशियात अमर्त्य सेन ने कहा है कि समाजी तरक़्क़ी के मुआमला में हिंदूस्तान अपने पड़ोसी चीन से बहुत पीछे है।

हिंदूस्तानी इक़तिसादी तंज़ीम के कंवेनशन से ख़िताब करते हुए मिस्टर सेन ने कहाकि इस मुआमला में (समाजी महाज़ पर) बहुत ज़्यादा खुला है क्योंकि समाजी तरक़्क़ी के रुजहानात में चीन का बेहतरीन मुज़ाहरा है। हिंदूस्तानी मईशत और इस के समरात की समाजी शोबा में तक़सीम का तफ़सीली तजज़िया करते हुए डाक्टर अमर्त्य सेन ने कहाकि हिंदूस्तान के नक़ाइस हत्ता कि इन ममालिक से तक़ाबुल में भी देखे जा सकते हैं जो चीन से कहीं ज़्यादा इस महाज़ पर कामयाब रहे हैं, लेकिन उन्हों ने हिंदूस्तान के बनिसबत कहीं बेहतर मुज़ाहरा किया है।

मिस्टर अमर्त्य सेन ने कहाकि हक़ीक़ी आमदनी के फ़रोग़ के मुआमला में हिंदूस्तान अगरचे दीगर कई ममालिक से आगे बढ़ चुका है लेकिन बुनियादी समाजी तरक़्क़ी, मियार-ए-ज़िंदगी और मियार-ए-ज़िंदगी के रुजहानात के तक़ाबुल में दूसरों से बहुत पीछे हैं। दरहक़ीक़त ख़ुद जुनूबी एशीया में कई ऐसे ममालिक हैं जो हिंदूस्तान से बेहतर मुज़ाहरा कररहे हैं।

आलमी शौहरत-ए-याफ़ता माहिर मआशियात ने कहाकि 6 जुनूब एशियाई मईशतों (हिंदूस्तान, पाकिस्तान, बंगला देश, श्रीलंका, नेपाल और भूटान) दूसरे दर्जा के बेहतरीन ममालिक के मुक़ाम से घट कर दूसरे दर्जा के बदतरीन ममालिक की सतह पर पहूंच गए हैं और ये एक ऐसे वक़्त हुआ है जबकि हिंदूस्तान जुनूबी एशियाई मईशतों के मुक़ाबले ग़ैरमामूली तौर पर मआशी तरक़्क़ी की है। उन्हों ने कहाकि मआशी तरक़्क़ी और मियार-ए-ज़िंदगी में बेहतरी का ताल्लुक़ कई अनासिर पर मुनहसिर है।

जिन में से एक ये है कि मआशी तरक़्क़ी से हासिल होने वाली सरकारी आमदनी से किस तरह इस्तिफ़ादा किया जा रहा है और अवामी मियार-ए-ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिए किया इक़दामात किए जा रहे हैं। जुनूबी एशीया की 2 बड़ी मईशतों हिंदूस्तान और चीन का तक़ाबुली जायज़ा लेते हुए डाक्टर अमर्त्य सेन ने कहाकि ये एक हक़ीक़त है कि चीन अपनी सरकारी आमदनी का 2.3 फ़ीसद हिस्सा अवामी सेहत पर सिर्फ करता है जिस के मुक़ाबला हिंदूस्तान का ये हिस्सा निसबतन बहुत कम यानी 1.4 फ़ीसद है।

चुनांचे ये नतीजा ये है कि हिंदूस्तान के मुक़ाबला चीन अवामी सेहत में बेहतरी के लिए ज़्यादा कामयाबी हासिल कर रहा है।