वाशिंगटन 28 अक्टूबर ( पी टी आई) हिंदूस्तान और अमरीका के दरमयान न्यूक्लीयर मुआहिदा अमलन नाकाम हो गया था।
इस वक़्त की सकरीटरीट आफ़ स्टेट अमरीका कोंडूलिज़ा राईस ने सदर अमरीका जॉर्ज डब्लयू बुश से कहा था कि ये मुआहिदा कारगर साबित नहीं होगा और पूरे नज़म-ओ-नसक़ ने इस मुआहिदे से तवक़्क़ो उठा ली थी।
कोंडूलिज़ा राईस ने कहा कि मैंने सदर बुश से रब्त पैदा करते हुए कहा था कि हिंद-अमरीका न्यूक्लीयर मुआहिदा काबुल अमल नहीं हो रहा है।
वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने इस मुआहिदा पर दस्तख़त करने में पिस-ओ-पेश किया है। उन्होंने कहा था कि बहुत बुरा हो रहा है।
इस सिलसिला में उन्हों ने मज़ीद दबाव नहीं डाला। बादअज़ां रात में नेको लस बुर्नुस जो उस वक़्त के अंडर सैक्रेटरी आफ़ स्टेट थे मुझ से रब्त पैदा किया और वही बात कही जो में पहले से वाक़िफ़ थी कि कोई मुआहिदा होने नहीं जा रहा है।
इस वक़्त की सैक्रेटरी आफ़ स्टेट कोंडूलिज़ा राईस ने इस बात का इन्किशाफ़ अपनी किताब में दिया है।
उन्होंने अपनी आने वाली किताब नौ हायर ऑनर में मज़ीद तफ़सीलात का इन्किशाफ़ करते हुए बताया कि 18 जुलाई 2005-ए-को वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह और जॉर्ज बुश की जानिब से दिए जाने वाले मुशतर्का ब्यान से चंद घंटे क़बल ही हिंद – अमरीकी न्यूक्लीयर मुआहिदे के लिए ढांचा तैय्यार किया गया।
इस मुआहिदे की वजह से जुलाई 2008-ए-में यू पी ए हुकूमत मरहला अव्वल तक़रीबन गिरने के क़रीब थे।
इस वक़्त के वज़ीर-ए-ख़ारजा ने मुआहिदे पर दस्तख़त कराने की बहुत कोशिश की थी लेकिन वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने मुआहिदे पर दस्तख़त करने से गुरेज़ किया था।
नटवर सिंह ने वज़ीर-ए-आज़म के साथ बातचीत करते हुए मुआहिदा को क़तईयत देने की लम्हा आख़िरी कोशिश अंजाम दी। ये बात कोंडूलिज़ा राईस को बरनज़ ने बताई थी।
कोंडूलिज़ा राईस ने दूसरे दिन सुबह मनमोहन सिंह और जॉर्ज बुश के दरमयान मुलाक़ात से क़बल ये तै किया था कि मुआहिदा के लिए ज़ोर नहीं दिया जाएगा।
लेकिन उन्होंने लम्हा आख़िर में वज़ीर-ए-आज़म से शख़्सी तौर पर मुलाक़ात करते हुए इस मुआहिदा को क़तईयत देने की कोशिश की।