हिंद और चीन में इंटरनैट सॆनसरशिप सब से बड़ा ख़तरा : जमी वेल्ज़

लंदन 06 नवंबर (यू एन आई )उस वक़्त जबकि इंटरनैट के सौ करोड़ नए सारिफ़ीन आने वाले हैं विकीपीडिया के बानी जमी वेल्ज़ का ख़्याल है कि हिंदुस्तान और चीन जैसे तरक़्क़ी पज़ीर मुल्कों में आने वाले दिनों में इंटरनैट इस्तिमाल करने की तादाद में भारी इज़ाफ़ा होगा लेकिन इसी केसाथ सॆनसरशिप का ख़तरा भी बढ़ेगा क्योंकि इन ममालिक की हुकूमतों पर इस इन्क़िलाब का शदीद असर पड़ेगा।

यहां मुनाक़िदा हालिया साइबर स्पेस कान्फ़्रैंस के दौरान बीबीसी से बातचीत में उन्हों ने कहा कि आनेवाले दिनों में ऑनलाइन 100 करोड़ नए लोग हिंदुस्तान, चीन और अफ़्रीक़ा के होंगे।

बह अलफ़ाज़ दीगर ऐसी सक़ाफ़्तों से ताल्लुक़ रखने वाले लोग जिन से हमारा उमूमन ज़्यादा मेल जोल नहीं होता, बहुत बड़ी तादाद में ऑनलाइन आने वाले हैं। जमी वेल्ज़ के मुताबिक़ इस से बहरहाल ऐसी हुकूमतों के लिए शदीद नताइज बरामद हो सकते हैं जिन्हें ऐसे अवाम से निमटने की आदत नहीं जो दुनिया के बारे में जानते हूँ।

बावजूद इस के तरक़्क़ी पज़ीर ममालिक के अवाम में इंटरनैट की मक़बूलियत और लीप टॉप्स और स्मार्ट फ़ोनज़ का बढ़ता हुआ इस्तिमाल हौसला अफ़ज़ा हैं।

इंटरनैट की तरक़्क़ी में सब से बड़ा ख़तरा सॆनसरशिप को बताते हुए उन्हों ने कहा कि चालीस से ज़्यादा ममालिक सॆनसरशिप का सहारा लेते हैं हम उसे एक संगीन मसला के तौर पर देखते हैं। उन्होंने इस रुजहान का मुक़ाबला करने का वाअदा करते हुए कहा कि हमारा उसूल है कि हम संसर शिप का कभी साथ नहीं देंगी। जमी वेल्ज़ ने कहा कि विकीपीडिया को माज़ी में चीन में संसर शिप के मुआमले में ख़ासी मुश्किलात का सामना करना पड़ा हैं।

चीनी हुकूमत ने 2004से 2008 के दरमयान कई मर्तबा विकीपीडिया को बलॉक किया था लेकिन फिर बीजिंग ओलम्पिकस के मौक़ा पर ये पाबंदीयां उठा ली गई थीं। अगर चीन में दुबारा-ओ-की पीडीया को रोका गया तो इस का रद्द-ए-अमल शदीद हो सकता है।

विकीपीडिया आज बहुत मज़बूत पोज़ीशन में है। हम पहले से ज़्यादा जाने जाते हैं और चीन की इंटरनैट बिरादरी और ज़्यादा जदीद है। वेल्ज़ ने कहा कि नौजवानों को फ़ायर वाल से बचना आता है और वो ऐसा करते भी हैं और जिस की भी इस में थोड़ी बहुत दिलचस्पी है वो ऐसा कर सकता है।

जमी वेल्ज़ ने कहा कि ऐसे बहुत लोग हैं जो चीन में नहीं रहते और वो चीन के अंदर फिल्टर्स किए जा रहे सफ़हात में तरमीम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि चीन के बाहर चीनी बोलने और लिखने वाले लोगों की तादाद जर्मनी की आबादी से ज़्यादा है।