हिंद -चीन की एकसाथ तरक्की की गुंंजाइश- हामिद अंसारी

दुनिया में हिंदुस्तान और चीन के एक साथ उरूज के लिए काफ़ी गुंजाइश मौजूद है। नायब सदर जम्हूरिया हिंद मुहम्मद हामिद अंसारी ने आज कहा कि दोनों पड़ोसी मुमालिक बाहमी ताल्लुक़ात के उबूरी दौर से गुज़र रहे हैं।

हामिद अंसारी ने कहा कि दोनों मुमालिक बाहमी मुफ़ादात में एक दूसरे के शराकतदार हैं, हरीफ़ नहीं। उन्होंने कहा कि दुनिया की आबादी का दोनों मुमालिक की मजमूई आबादी 37% हिस्सा है। इस तरह वो आलमी निज़ाम में ज़्यादा जम्हूरी हैं, और आलमी मसाइल की यकसूई में मुसावी हिस्सा अदा करसकते हैं।

चीन की बावक़ार चीनी एकेडमी बराए सोश्यल साईंस में तक़रीर करते हुए उन्होवने कहा कि दुनिया को दोनों मुमालिक की आम तरक़्क़ी की ज़रूरत है, क्योंकि दोनों वसीअ तरक़्क़ी पज़ीर मुमालिक हैं और उन के मुशतर्का मुफ़ादात उनके बाहमी इख़्तिलाफ़ात पर ग़लबा रखते हैं।

हामिद अंसारी ने कहा कि हिंदुस्तान तरक़्क़ी के एतेबार से चीन के कारनामों की सताइश करता है और उम्मीद करता है कि मुल्क बहुत जल्द तरक़्क़ी याफ़्ता मुल्क कहलाएगा। उन्होंने कहा कि दो अज़ीम पड़ोसी मुमालिक एक ही वक़्त में उभरती हुई ताक़तें बन जाना आलमी तारीख़ का एक नादिर वाक़िया है। उन्होंने कहा कि दोनों मुमालिक के मुक़तदिर जुग़राफ़ियाई और तारीख़ी एतेबार से मरबूत हैं। इस लिए एक हम चीन की पुरअमन तरक़्क़ी का ख़ैैरमक़दम करते हैं और उसे बाहमी कामयाबी का अमल समझते हैं।

उन्होंने कहा कि दोनों पड़ोसियों के ताल्लुक़ात में अज़ीम इमकानात मौजूद हैं और इलाक़ाई , आलमी और दिफ़ाई एहमियत के हामिल हैं। हिंदुस्तान और चीन ने आज तीन अहम मुफ़ाहमत की याददाश्तों पर दस्तख़त किए। इन में से एक सनअती पार्ट्स का क़ियाम है और दरयाए ब्रह्मपुत्रा में सैलाब के बारे में मालूमात में शराकतदारी शामिल हैं। इन याददाश्तों पर नायब सदर हामिद अंसारी और नायब सदर चीन ली युवान चाओ की मौजूदगी में उनकी बातचीत के बाद दस्तख़त किए गए।

सनअती पार्क्स की याददाश्तॱएॱ मुफ़ाहमत का मक़सद हिंदुस्तान में चीनी , सरमायाकारी की दावत है और चीनी कंपनियों के लिए सनअती पार्क्स और ज़ोन्स ने सरमायाकारी का एक चोकठा फ़राहम करना है। सेलाब के आदाद-ओ-शुमार में शराकतदारी की याददाश्त से हिंदुस्तान को मज़ीद 15 दिन दरयाए ब्रह्मपुत्रा के आबी मालूमात से वाक़फ़ीयत हासिल होगी। इन मालूमात से हिंदुस्तान को सैलाब की पेश क़ियासी में मदद मिलेगी। हिंदुस्तान और चीन ने मुशतर्का तौर पर अपने क़दीम सक़ाफ़्ती रवाबित जिन की तारीख़ 2000से ज़्यादा पुरानी है, के बारे में जारी किया। इस का आग़ाज़ चीनी सय्याह युवान सांग के सातवें सदी ईसवीं में हिंदुस्तान के दौरे से होता है। इस दौरे का मक़सद बुधमत के मख़तूतात को चीन मुंतक़िल करना था। और चीनी ज़बानों में बैयकवक़्त शाये किया गया है और इस में 700 से ज़्यादा इंदिराजात हैं।