हिंद – पाक क़ुरबत के लिए उर्दू ज़बान का कलीदी रोल

नई दिल्ली

जश्न बिहार मुशायरे से सहाफ़ी कुलदीप नय्यर का ख़िताब

शारा-ए-किराम और माहिरीन तालीम का ये मुशतर्का एहसास है कि उर्दू जोकि राबिता की ज़बान और मुशतर्का तहज़ीब की अलामत है। हिंद – पाक ताल्लुक़ात को क़रीब लाने और कशीदगी दूर करने में कलीदी रोल अदा करसकती है। मुमताज़ सहाफ़ी कुलदीप नय्यर ने कहा कि पाकिस्तान के साथ दोस्ती की एहमीयत है और 26 साल क़बल 14 और 15 अगस्ट की शब हम ने सरहद पर मोमबत्ती रोशन की थी उस वक़्त बमुश्किल दस पंद्रह अफ़राद मौजूद थे लेकिन गुज़िश्ता साल तक़रीबन देढ़ लाख अफ़राद से सरहद पर हिन्दुस्तान-पाकिस्तान ज़िंदाबाद और उर्दू ज़िंदाबाद के नारे बुलंद किए।

वो कल शाम डी पी ऐस मथुरा रोड पर 17 वीं जश्न बिहार मुशायरा की सदारत कररहे थे। कुलदीप नय्यर ने कहा कि अगर मज़हब की बुनियाद पर मुल्क की तक़सीम ग़लत थी लेकिन जो होगया सौ होगया और अब अवाम एक दूसरे से मुलाक़ात के ख़ाहिशमंद हैं क्योंकि उनकी ज़बान और तहज़ीब मुश्तर्क है जोकि गंगा जमुनी तहज़ीब कहलाती है।

इस मुशायरे में महबान उर्दू की कसीर तादाद शरीक थी जिस में सियासत से लेकर दूर-ए-हाज़िर के मसाइल को उजागर किया गया। जिन शारा-ए-किराम ने सामईन से ज़बरदस्त दाद तहसीन हासिल की इन में किशवर नाहीद, अमजद इस्लाम अमजद और अंबरीन हबीब (पाकिस्तान) , डाक्टर अब्दुल्लाह अबदुल्लाह (अमरीका) , इशफ़ाक़ हुसैन ज़ैदी (कैनेडा) , उमर सलीम अलईदरोस (सऊदी अरब) और ज़हॉइंग ज़ेहान (चैन) थे।

हिन्दुस्तान की नुमाइंदगी वसीम बरेलवी, ख़ू शब्बीर सिंह शहाद, पॉपुलर मेरठी ने की। निज़ामत के फ़राइज़ मंसूर उसमानी ने अंजाम दिए।