हिजाब हटाने से किया मना तो जर्मन मेयर ने कर दी छुट्टी

‘द लोकल’ अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक लुकेनवाल्डे शहर के मेयर एलिजाबेथ हर्जोग-वोन डेर हिडे ने एक 48 वर्षीय फिलीस्तीनी शरणार्थी को एक जर्मन मेयर की ऑफिस में बतौर इंटर्न नियुक्त किया गया था। लेकिन उन्हें पहले दिन ही ऑफिस से निकाल दिया गया, क्योंकि उन्होंने अपना हिबाज हटाने से मना कर दिया था। इंटर्न को एक दिन के बाद ही ऑफिस से निकाल दिया क्योंकि इंटर्न ने कहा था कि वे अपना स्कार्फ नहीं हटाएंगी। मेयर के हवाले से रिपोर्ट में लिखा गया है, ‘इस्लामी स्कार्फ का मतलब है कि आप वैश्विक तौर पर एक धार्मिक नजरिया पेश कर रहे हैं।’ मेयर ने कहा कि हिजाब पहनना टॉउन हॉल की निष्पक्षता का उल्लंघन है, क्योंकि यहां क्रूसफिक्स(क्रॉस) की भी इजाजत नहीं है।

फिलीस्तीनी औरत को एक प्रोजेक्ट ‘शरणार्थियों के लिए दृष्टिकोण’ के लिए छह सप्ताह के लिए हायर किया गया था। खातून का कहना है कि वह मर्दों की मौजूदगी में अपना हिजाब नहीं हटाना चाहती थीं। उन्हें हायर करने से पहले इस पॉलिसी के बारे में मुझे बताया जाना चाहिए था। स्टेट पार्लियामेंट के प्रतिनिधि और एंजेला मार्कल की कंजर्वेटिव सीडीयू पार्टी के सवेन पेटके ने एसपीडी मेयर की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस फैसले का कोई कानूनी आधार नहीं है। साथ ही जर्मन की संवैधानिक कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत विश्वास और उनसे जुड़ी कुछ चीजों पर आपत्ति नहीं की जा सकती। वहीं एएफडी पार्टी ने इंटर्न को निकाले जाने के फैसले की प्रशंसा की है। एएफडी स्टेट पार्लियामेंट प्रतिनिधि थॉमस जंग ने कहा, ‘जब टॉउन हॉल के कमरों में क्रॉस की अनुमति नहीं है तो मुस्लिमों के लिए विशेष प्रावधान की जरूरत नहीं है।’ साथ ही उन्होंने कहा कि मेयर की इस फैसले के लिए कोई आलोचना नहीं होनी चाहिए।

बता दें, जर्मनी में पिछले कई सालों में काम करते हुए हिजाब पहनने के मुद्दे पर काफी बहस होती रही है। जर्मनी की संवैधानिक कोर्ट ने पिछले साल फैसला दिया था कि हिजाब पहनकर काम किया जा सकता है। युवा वकील बवारिया को कोर्ट ने हिजाब पहनकर काम करने की अनुमति दे दी थी। जज ने कहा था कि वकील की धार्मिक और शैक्षणिक स्वतंत्रता को इंनकार करने का कोई कानूनी आधार नहीं है।