कानपूर: जहांआरा के नक्श-ए-कदम पर चलते हुए बुधवार को शिया मसलक से डॉ. हिना जहीर नकवी और सुन्नी मसलक से मारिया फजल ने उत्तर प्रदेश की पहली महिला शहर काजी का ओहदा संभाल लिया। इनके नामों का ऐलान चमनगंज में ऑल इण्डिया मुस्लिम वुमेन बोर्ड की बैठक में बोर्ड की सदर सैय्यदा तबस्सुम बेगम ने किया।
शहरकाजी के लिए जो आवेदन आए थे उनमें ज्यादातर के पास केवल मजहबी डिग्रियां थीं। चयन में उनको ज्यादा अहमियत दी गयी जिनके पास दुनियावी तालीम भी थी, ताकि वह बेहतर तरीके से समाज की ख्वातीन तक पहुंच सकें। ऐलान के बाद बैठक में मौजूद ख्वातीन (महिलाओं) ने मारिया फजल की गुलपोशी की। डॉ. हिना संस्थान में होने की वजह से नहीं आ सकीं। उन्हें फोन करके मुबारकबाद दी गई। सदर सैय्यदा तबस्सुम बेगम ने अपनी सदारती तकरीर में कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि ख्वातीन में मजहबी और असरी (दुनियाबी) तालीम को पहुंचाया जाए। इसके लिए मर्द और औरत दोनों को ही जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी। महिला शहर काजियान महिलाओं को पूरा अधिकार दिलाने में मददगार होंगी। जहांआरा ने हाल ही में महाराष्ट्र के दारुल उलूम निसवां से काजियत का कोर्स पूरा किया था, इसके बाद वह राजस्थान की पहली महिला शहर काजी बनी थीं। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए ऑल इण्डिया वुमेन मुस्लिम बोर्ड ने पहले सुन्नी उलमा काउंसिल के ज़रिये से इसके लिए आवेदन मांगे और फिर पूरी जिम्मेदारी खुद संभालते हुए दो नामों को चुना। उसके बाद बुनियाद मजहबी और दुनियावी तालीम रखा गया।
बोर्ड की सदर ने कहा कि डॉ. हिना जहीर नकवी जाकिरा (मज़हबी मुश्तिहिर ) हैं और उनके पास पीएचडी की डिग्री है। उनकी समाज में पहचान है। इसी तरह मारिया फजल के पास आलिमा की डिग्री के साथ सीएसजेएमयू से स्नातक की डिग्री भी है और कान्वेंट एजुकेटेड हैं। नो मुन्तखब शिया शहर काजी डॉ. हिना जहीर नकवी ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि मसलकी इत्तेहाद दिखाते हुए सियासी नहीं बल्कि समाजी तौर पर काम अंजाम दिए जाएंगे। हम चाहते हैं कि इस्लाम ने महिलाओं को जो दर्जा दिया है, वह उन्हें दिला सकें। उनके जज्बात का ख्याल रखेंगे। निकाह पढ़ाने की जिम्मेदारी जिसकी है वही अंजाम देगा लेकिन रिश्तों को टूटने से बचाने का जिम्मा जरूर संभालेंगे। महिलाएं सिर्फ घर की जीनत नहीं बल्कि आला मुकाम तक पहुंचेंगी। मर्द शहर काजियों के बाबत उन्होंने कहा कि वे सभी की इज्जत करती हैं। इस विवाद में नहीं पड़ना चाहिए। नो मुन्तखब सुन्नी शहर काजी मारिया फजल ने कहा कि हमने कान्वेंट में पढ़ा है। हमारे पास मजहबी नॉलेज भी है। हमारी कोशिश रहेगी कि खासतौर से नई पीढ़ी को इल्म की शमां से रोशन रखा जाए। इस्लाम ने औरत को जो मुकाम दिया है उसका हक उसे नहीं मिल पा रहा है। अगर औरत के पास तालीम है तो यकीनन उसका परिवार तरक्की करेगा। मजहबी नॉलेज होने से इंसान में तहजीब पैदा होती है। बुराइयां दूर भागती हैं। आगे बोर्ड जो भी तरीक-ए-कार बताएगा उससे आगे बढ़ाया जाएगा।