हिन्दुत्ववादी दहशतगर्दों की रिहाई का मंसूबा

मुंबई:(हिसाम सिद्दीकी) ‘सबका साथ, सबका विकास और सबको इंसाफ’ वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी का यह नारा वैसे तो कई बार झूटा साबित हुआ है। लेकिन अब हिन्दुत्ववादी दहशतगर्दों के खिलाफ अदालत में पैरवी कर रही पब्लिक प्रासीक्यूटर और सीनियर वकील रोहिणी सेलियन ने जो इंकेशाफ किया है, उसने मोदी की इंसाफ पसंदी की सारी पोल पट्टी ही खोल दी।

रोहिणी ने बताया कि मोदी हुकूमत बनने के बाद नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एन आई.ए.) के एक सीनियर अफसर ने उनसे कहा कि वह मालेगांव बम धमाकों में मुलव्विस खुद को साध्वी कहने वाली प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल श्रीकांत पुरोहित और राकेश धावाड़े समेत जो भी हिन्दुत्ववादी दहशतगर्द जेलों में बंद है उनके खिलाफ पैरवी में ”नर्म रूख अख्तियार करें“ ताकि वह लोग सजा से बच जाएं।

रोहिणी सेलियन ने इस सिलसिले में इंडियन एक्सप्रेस की सुनंदा मेहता से तफसीली बातचीत की। याद रहे कि सितम्बर 2008 में रमजान के दौरान बम धमाका हुआ था, जिसमें चार मुसलमान मौके पर और चार अस्पताल में मौत के शिकार हो गए थे।

इससे पहले आठ सितम्बर 2006 को शब-ए-बरात के दिन भी मालेगांव के कब्रिस्तान की मस्जिद के बाहर भी बम धमाका हुआ था, जिसमें 31 मुसलमान हलाक हो गए थे और तकरीबन 275 लोग जख्मी हुए थे।

मालेगांव बम धमाके मामले में महाराष्ट्र एटीएस ने नूरूल हुदा, सलमान फारसी, रईस अहमद रजब अली मंसूरी, शब्बीर अहमद, शम्सुल हुदा, आसिफ खान, बशीर खान, अहमद मखदूमी वगैरह को जबरदस्ती मुल्जिम बनाकर गिरफ्तार किया था।

सीबीआई इंक्वायरी हुई तो सीबीआई ने भी एटीएस की रिपोर्ट पर ही मोहर लगा दी। बाद में प्रज्ञा सिंह ठाकुर की मोटर साइकिल बरामद होने के बाद पता चला कि इस धमाके के पीछे तो आर.एस.एस. से जुड़े हिन्दुत्ववादी दहशतगर्दों का हाथ है, मामला एनआईए को सौंपा गया, तहकीकात में पता चला कि यह धमाके कराने वालों में कर्नल श्रीकांत पुरोहित, प्रज्ञा सिंह ठाकुर, संदीप डांगे, सुनील जोशी, लोकेश शर्मा, राम चंदर कलसांगरा, मनोहर नरवरिया, रमेश वेंकट महालकर और राकेश धवाड़े वगैरह शामिल थे।

संदीप डांगे और रामचंदर कलासांगरा अभी तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं जबकि आर.एस.एस. लीडर सुनील जोशी को प्रज्ञा सिंह ठाकुर वगैरह ने ही कत्ल करा दिया था।

जिन बम धमाकों में हिन्दुत्ववादी दहशतगर्दों को मुलव्विस पाया गया है उनमें मालेगांव के अलावा 19 फरवरी 2007 की रात में समझौता एक्सप्रेस में हुए धमाके में 68 मुसाफिर मारे गए थे और दर्जनों जख्मी हुए थे। 2007 में ही 18 मई को हैदराबाद की मक्का मस्जिद में बम धमाका हुआ था जिसमें नौ नमाजी मारे गए थे और 60 से ज्यादा जख्मी हुए थे।

11 अक्टूबर 2007 को अजमेर में ख्वाजा मुईन उद्दीन चिश्ती (रह०) की दरगाह में अफतार के वक्त धमाका किया गया जिसमें तीन रोज़ेदार मारे गए और दर्जनों जख्मी हुए। 29 सितम्बर 2008 को मोदासा में बम द्दमाका हुआ जिसमें एक शख्स की मौत हो गई और एक दर्जन जख्मी हुए।

इससे पहले जालना और परभनी में उस वक्त दो अलग-अलग धमाके हुए जब हिन्दुत्ववादी दहशतगर्द अपने घरों में बम बना रहे थे। इन धमाकों में आर.एस.एस. से जुड़े हिन्दुत्ववादी दहशतगर्द शामिल थे इसका इंकशाफ आर.एस.एस. के सीनियर लीडर स्वामी असीमानंद ने किया था, जो जेल में हैं।

जितने भी बम धमाके होते थे आमतौर पर पुलिस बेगुनाह मुसलमानों को ही उसका जिम्मेदार करार देकर जेल भेज दिया करती थी। लेकिन 29 सितम्बर 2008 को मालेगांव में हुए बम धमाके में पता चला कि जिस मोटर साइकिल का इस्तेमाल बम धमाके के लिए किया गया था उसका असल मालिक सूरत का रहने वाला था।

उस वक्त तक हेमंत करकरे महाराष्ट्र एटीएस के चीफ बन चुके थे। हेमंत करकरे ने मामले की ईमानदारी से तहकीकात कराई तो बम धमाके के तार प्रज्ञा सिंह ठाकुर, सुनील जोशी और मिलीट्री इंटलीजेंस के कर्नल श्रीकांत पुरोहित से जुड़े मिले।

करकरे ने हिम्मत दिखाई और इस मामले में मुलव्विस संदीप डांगे, रामचन्दर कलसांगरा और सुनील जोशी के अलावा प्रज्ञा सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, दयानंद पाण्डेय, प्रवीण तकलिकी, समीर कुलकर्णी, सुद्दाकर चतुर्वेदी और राकेश धवाड़े वगैरह को गिरफ्तार करा लिया।

यह सभी ज्यूडीशियल कस्टडी में जेल में है। इस बम धमाके में मुलव्विस जगदीश महात्रे, श्याम साहू, शिव नरायन कलसांगरा और अजय उर्फ राजा रहिरकर जमानत पर है।

रोहिणी सेलियन ने बताया कि 29 सितम्बर 2008 को मालेगांव में हुए बम धमाके के मामले में पब्लिक प्रासीक्यूटर नहीं बनना चाहती थी, लेकिन उस वक्त महाराष्ट्र एटीएस के चीफ हेमंत करकरे ने जब उनसे कहा कि यह अपने किस्म का पहला मामला है जिसकी सख्त पैरवी बहुत जरूरी है, इसलिए करकरे के कहने पर ही उन्होंने यह केस लड़ने के लिए अपनी रजामंदी जाहिर की थी।

26 नवम्बर 2008 को मुंबई पर पाकिस्तानी दहशतगर्दों का हमला हुआ था। उसी रात हेमंत करकरे गोली लगने से शहीद हो गए। उनकी शहादत पर भी तनाजा है।

26 मई 2014 को नरेन्द्र मोदी ने मुल्क की सत्ता संभाली, उसके बाद से अदालतों के रूख में अचानक एक अजीब किस्म की तब्दीली आई और गुजरात के सात आई.पी.एस. अफसरान समेत जितने भी लोग फर्जी इंकाउंटर मामलात में बंद थे, एक-एक कर सबको छोड़ दिया गया।

इंतेहा यह है कि गुजरात दंगो में उम्र कैद की सजा पाए बाबू बजरंगी और माया कोदनानी को भी अदालत से जमानत मिल गई। अब मालेगांव बम धमाके में मुलव्विस हिन्दुत्ववादी दहशतगर्दों को भी छुड़वाने की कोशिशें हो रही है। रोहिणी सेलियन ने बताया कि पहले तो 12 जून को उनसे यह कहा गया कि वह मालेगांव मामले में गिरफ्तार मुल्जिमान के साथ नर्मी बरतें।

जब वह अपने पेशे की ईमानदारी के साथ बेईमानी करने के लिए तैयार नहीं हुई तो एनआईए के उसी अफसर ने उनसे कह दिया कि ऊपर से आर्डर मिला है कि सेशन कोर्ट में वह इस मामले की पैरवी करने के लिए हाजिर न हो। इसके लिए दूसरे पब्लिक प्रासीक्यूटर को भेजा जाएगा।

एनआईए अफसर की बात सुनकर रोहिणी ने उस अफसर से कहा कि अगर ऐसी बात है तो अब तक के उनके बिलों की अदायगी कर दी जाए और पब्लिक प्रासीक्यूटर की फेहरिस्त से उनका नाम डीनोटिफाई कर दिया जाए ताकि वह इस मुकदमे के अलावा दीगर मुकदमात में एनआईए के खिलाफ खड़ी हो सकें।

रोहिणी सेलियन के इस इंकशाफ के बाद यह बात तकरीबन तय हो चुकी है कि मालेगांव के बम धमाके हो, मोदासा के धमाके हो, परभनी और जालना के हो, अजमेर दरगाह का बम धमाका हो या समझौता एक्सप्रेस में हुआ बम धमाका। इन सब में मुलव्विस रहे हिन्दुत्ववादी दहशतगर्दों के खिलाफ मोदी हुकूमत के रहते इंसाफ की कोई कार्रवाई होना तो दूर उन्हें शायद अब बहुत जल्द रिहाई मिल जाएगी।

बशुक्रिया: जदीद मरकज़