हिन्दुस्तानी मईशत पर इन्हितात रुपये और क़ीमतों में इज़ाफे के साये

राज्य सभा में वज़ीर-ए-आज़म का बयान, अरूण जेटली रुपये की क़दर में इन्हितात पर अवाम के दहश्त ज़दा होने का इद्दिआ
हिन्दुस्तानी मईशत पर रुपये की क़दर में मुसलसल इन्हितात और ख़ाम तेल की क़ीमतों में मुसलसल इज़ाफे के साय पड़ रहे हैं। वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने आज राज्य सभा में कहा कि मुल्क को मुश्किल मआशी सूरत-ए-हाल का सामना है जिस के लिए बाअज़ अंदरून-ए-मुल्क अनासिर भी ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि इस बात से इनकार नामुमकिन है कि मुल्क को मुश्किल मआशी सूरत-ए-हाल दरपेश है।

वो क़ाइद अपोज़िशन राज्य सभा रूण जेटली की जानिब से रुपये की क़दर में अदीमुल्मिसाल इन्हितात पर हुकूमत से वज़ाहत तलबी का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि (मआशी मुश्किलात केलिए) कई अनासिर ज़िम्मेदार हैं। वो इस बात की तरदीद नहीं कर सकते कि बाअज़ अंदरून-ए-मुल्क अनासिर भी इस के ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने चंद ख़ारिजी अनासिर की फ़हरिस्त पेश करते हुए कहा कि उनसे रुपये की क़दर और हिन्दुस्तानी मईशत मुतास्सिर हुई है। वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि अमरीका का माली मव‌क़फ़ और शाम में कशीदगी की वजह से जो मसाइल पैदा हुए हैं, उन के नागुज़ीर असरात ख़ाम तेल की क़ीमत पर मुरत्तिब होरहे हैं और यही अपना किरदार हिन्दुस्तानी मईशत पर असर मुरत्तिब करने में ज़ाहिर होरहा है।

उन्होंने कहा कि हमें तस्लीम करना चाहीए कि बाअज़ ग़ैर यक़ीनी हालात भी हैं जिन में से चंद की अक्कासी हिन्दुस्तानी मईशत के मुतास्सिर होने की शक्ल में हो रही है। उहूं ने कहा कि उन्हें इस मौज़ू पर कल बयान देते हुए ख़ुशी हासिल होगी। क़ब्लअज़ीं जब ऐवान में आज की कार्रवाई का आग़ाज़ हुआ तो अरूण जेटली ने रुपये की क़दर में इन्हितात का मसला उठाया जिस की क़दर अमरीकी डालर के मुक़ाबिल जारीया साल 20 फ़ीसद कम हो चुकी है और वो पहले ही 68 की हद पार करचुका है। उन्होंने कहा कि मुल्क में दहश्त फैल गई है क्योंकि अवाम इस बात से नावाक़िफ़ हैं कि रुपय की क़दर में इन्हितात का इख़तताम कहाँ होगा।

इफ़रात-ए-ज़र का दबाव‌ दुगुना हो गया है क्योंकि ग़िज़ाई अजनास की क़ीमतों में इज़ाफ़ा होगया है और साथ ही साथ बैन-उल-अक़वामी मंडी में ख़ाम तेल की क़ीमतों में मुसलसल इज़ाफ़ा जारी है। ख़िदमात के शोबे में 7 फ़ीसदता 10 फ़ीसद तौसीअ की वजह से पैदावार की सतह में कमी आई है। उन्होंने कहा कि ऐसी सूरत-ए-हाल में हुकूमत क्या करनेवाली है, कोई नहीं जानता। अरूण जेटली ने कहा कि मर्कज़ी वज़ीर फाईनानस पी चिदम़्बरम का 10 नकाती मंसूबा एक मआशी नज़रिया है। हर शख़्स जानता है की मालीयाती ख़सारे और करंट अकाउंट का ख़सारा कम किया जाना चाहीए और बरामदात में इज़ाफ़ा किया जाना चाहीए।

मआशी तरक़्क़ी की शरह इन्हितात पज़ीर है और इफ़रात-ए-ज़र की शरह बहुत बुलंद है। मुल्क जमूद की सिम्त पेशरफ़त कर रहा है। उन्हों ने कहा कि जमूद और इफ़रात-ए-ज़र की वजह से ऐसी सूरत-ए-हाल पैदा हो रही है जिस में इफ़रात-ए-ज़र की शरह बुलंद और मआशी तरक़्क़ी की शरह इन्हितात पज़ीर है। बेरोज़गारी में मुसलसल इज़ाफ़ा हो रहा है। अरूण जेटली ने कहा कि मौजूदा सूरत-ए-हाल में उन्होंने मआशी किफ़ायत शिआरी का मसला उठाया है लेकिन उसे अवामी मक़बूलियत की बनिस्बत कम एहमीयत दी जा रही है।