हिन्दुस्तान् में नहीं रह सकेंगे पाकिस्तान के हिंदू

नई दिल्ली, ३० न्वम्बर्: पाकिस्तान में जलालत भरी जिंदगी से अजीज होकर कुछ हिंदू जराएनवीजा के जरिए पिछले दिनों हिन्दुस्तान् आ गए थे। अब ये लोग हिन्दुस्तान् से लौटना नहीं चाहते। पर हुकुमत् हिन्द् ने उन्हें वापस भेजने का इरादा जाहिर किया है।

हॊम मिनिस्टर् मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने कहा कि पाकिस्तानी हिंदुओं को अपने देश लौटना होगा।

दो महीना पहले वीजा का वक़्त् ख्त्म् होने के बाद भी दिल्ली में करीब 146 पाकिस्तानी हिंदुओं का एक ग्रुप् दिल्ली के मजनू का टीला में आठ सितंबर से ही पनाह लिए हुए हैं। यॆ ग्रुप् चार सितंबर को अटारी सरहद् पार कर हिन्दुस्तान् में दाखिल् हुऎ थॆ।

हाथों में चेहरा छुपाए 42 वर्षीय शोभामल पाकिस्तान के सिंध सॊबॆ वाकॆ अपने घर लौटने को लेकर डरॆ हुयॆ हैं। वहां उन्हें इख्राज् का दर्जा हासिल् है और उन्हें गैरमुस्लिम होने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। शोभामल ने बताया कि मैं अपनी जान के लिए नहीं डरता, लेकिन अपने खानदान् की जिंदगी के लिए डरता हूं। मैंने यहां आने का फैसला इसलिए लिया, क्योंकि पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए कोई जगह नहीं है।

उस देश ने हमें जिन्सी इस्तॆहासिल् (Exploitation), जबरन मज़हब् तब्दीली, अग्वा और बॆइज़्ज़्ती ही दिया है। शोभामल का 18 वर्षीय बॆटा ने इसी महीने यहां कैंसर से दम तोड़ दिया। इन लोगों के स्यह् वीजा की मियाद दो महीने पहले ही खतम् हो गई थी, लेकिन बागड़ी कम्युनिटी के ये लोग सिंध नहीं लौटना चाहते। इन लोगों का कहना है कि वहां उनकी जान-माल की कोई हिफाज़त नहीं है।

सिंध सॊबे की कुल आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी लगभग 7 फीसदी है। गंगाराम ने जज़्बाती लह्ज़ॆ में कहा कि हम वापस नहीं जाना चाहते। हम वहां से इख्राज् (Outcast) हैं। हम सरकार से अपील करते हैं कि हमें केवल पनाह् दे दे। हम कोई सहरियत् (Citizenship)नहीं चाहते। गंगाराम ने वजीर् ऎ आज़म् मनमोहन सिंह को खत लिखकर पूरे गीरॊह की वीजा मुद्द्त बढ़ाने का दरख्वास्त् किया है। वे फिलहाल 12 तम्बुओं में रह रहे हैं और एक जॆरसॆर् बैतुल् खुला(Dilapidated toilet) से काम चला रहे हैं। लेकिन उनका कहना है कि उन्हें कोई शिकायत नहीं है।

पेशे से मेकेनिक सागर ने कहा कि हम यहां खुश हैं।अगर्चॆ यहां ज़िन्दगी मुश्किल् है, लेकिन यह उस तरह की अग्निपरीक्षा (Ordeal) नहीं है जो पाकिस्तान में देनी पड़ती है। वहां आपको गैरमुस्लिम होने का खामियाजा भुगतना पड़ता है। उम्र के 50वें वर्ष में चल रहे मीठालाल ने कहा कि वे हमें इस्लाम कुबूल करने के मजबूर करते हैं और ऐसा न करने पर नतीजा भुगतने की धमकी देते हैं। उन्होंने हमारे बच्चों का अगवा कर लिया और हमारी इशाशा लूट ली। शिकायत करने पर कोई भी शक्स् हमारी नहीं सुनता।

नामॆ निगार् ने गीरॊह् में शामिल ख्वातीन् से बात करने की कोशिश की। बहुत गुजारिस् के बाद रुक्मिणी नामित ख्वातीन् ने कहा कि जब हमारे सौहर काम के लिए बाहर जाते हैं तो हम अपने घरों के दरवाजे बंद रखते हैं और मुसल्सल डरॆ रहते हैं। हमें अपनी मांग में सिंदूर लगाने की इजाज़त नहीं होती। एक ख्वातीन् ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि जब तक हमारे बच्चे घर वापस नहीं आ जाते, हम खाना नही खातॆ, क्योंकि इस बात का कोई ठिकाना नहीं होता कि उन्हें कब अगवा कर लिया जाए या उनका खतना कर दिया जाए।

—बशुक्रिया: अमर उजाला