हिंदुस्तानी शहरी अतिया देने में अपना एक ख़ास मुक़ाम रखते हैं और इस का सबूत चीन की एक तंज़ीम हारून की रिपोर्ट है जिस में विप्रो के अज़ीम प्रेमजी को अव्वल मुक़ाम दिया गया है।
उन्होंने गुज़श्ता साल तक़रीबन 8 हज़ार करोड़ रुपये के फ़राख़दिलाना अतिए दिए। इस रिपोर्ट में इन्फ़िरादी शख़्सियतों और मुख़्तलिफ़ कंपनियों की जानिब से अतियों की तफ़सीलात शामिल की गई हैं और अज़ीम प्रेमजी सर-ए-फ़हरिस्त हैं। इसमें 31 हिंदुस्तानियों का नाम दर्ज किया गया है जिन्होंने 10 करोड़ रुपये से ज़ाइद के अतिए नक़द या इसी रक़म के मुमासिल मुख़्तलिफ़ अशकाल में दिए हों।
रतन टाटा ने जे आर डी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट के ज़रिया मुख़्तलिफ़ तंज़ीमों को 310 करोड़ रुपय का अतीया दिया।