हिन्दुस्तान में कारोबार की लागत कम करना ज़रूरी :जेटली

मुल्क में कारोबार की लागत में कमी करना ज़रूरी है ताकि सरमाया कारी के दौर का अहया किया जा सके । मर्कज़ी वज़ीर फाइनेंस अरूण जेटली ने कारोबार का माहौल बेहतर बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया और कहा कि कारोबार की लागत कम करना एक अहम ज़रीया है जिस के ज़रीये सरमाया कारी के दौर का अहया मुम्किन है।

एक सरकारी बयान जारी करते हुए उन्होंने तमाम शोबों के नगर इनकार दारों के दरमियान बाहम रब्त के रवैय्ये की ज़रूरत पर ज़ोर दिया ताकि मआशी इस्तिहकाम हासिल किया जा सके । नई हुकूमत से वाबस्ता बुलंद सियासी तवक़्क़ुआत और मौजूदा दस्तयाब मवाक़े का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देरीना मसाइल जो मईशत को दर पेश हैं हल किए जाने चाहिए।

जेटली मआशी शोबे की तरक़्क़ीयाती काउंसल से ख़िताब कररहे थे जिस ने माली शोबे के नगर इनकार इदारों बिशमोल रिज़र्व बैंक गवर्नर रग्घू राम राजन और सेबी के सरबराह यू के सिन्हा ने शिरकत की थी। मर्कज़ी वज़ीर फाइनेंस ने माली इर्तिकाज़ के बारे में निगरानी में लापरवाही पैदा करने के ख़िलाफ़ भी इंतिबाह दिया।

मोतमिद फाइनेंस अरवीनद माया राम ने काउंसल को बड़े पैमाने की मआशी सूरत-ए-हाल और दोगुने ख़सारे के बारे में तफ़सीलात से वाक़िफ़ करवाया ताहम कहा कि मआशी फ़रोग़ के अहया के तवील मुद्दती जद्द-ओ-जहद ज़रूरी है । 2013-14 में शरह तरक़्क़ी 4.7 होगई थी और चिल्लर फ़रोशी का इफ़रात-ए-ज़र माह अप्रैल में गुज़िशता तीन साल की बुलंद तरीन सतह 8.59 फ़ीसद पर था।

उसीकी वजह से शरह तरक़्क़ी में इन्हितात पैदा हुआ था। माली ख़सारा013-14 में जी डी पी का 4.5फ़ीसद था जबकि गुज़िशता साल ये पैवस्ता साल का 4.9 फ़ीसद था।