नई दिल्ली
छूतछात पर पाबंदी के 65 साल बाद भी हर चार में से एक हिन्दुस्तानी अपने मकानात में इस पर अमल करता है। ये हैरतअंगेज़ इन्किशाफ़ मुल्क गीर सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है दिल्ली में दलित दानिश्वरों अदीबों और माहिरीन तालीम के समीनार में पेश किया गया ।
हिन्दुस्तान बुनियादी तौर पर मुख़्तलिफ़ मज़ाहिब और ज़ात बिशमोल मुस्लिमईसाई दर्ज फ़हरिस्त ज़ातों-ओ-क़बाइल का हामिल मुल्क है और यहां पर अह्द क़दीम से ही छूतछात के निज़ाम पर अमल किया जाता है। नेशनल काउंसिल आफ़ अप्लाईड इकनॉमिक रिसर्च और यूनीवर्सिटी आफ़ मैरीलैंड (अमरीका) के ज़ेर-ए-एहतेमाम करवाए गए इंडिया हूमन डेवलप्मेंट सर्वे में दात पात के इमतियाज़ात की निशानदेही की गई है और मज़कूरा समीनार में दलितों के साथ जबर-ओ-इस्तिबदाद के मसले को उजागर करलिया गया और सर्वे रिपोर्ट की मुकम्मल तफ़सीलात जारीया साल के आख़िर तपेश करदी जाएगी जिस में दलितों के अदब और सक़ाफ़्त पर असरात का जायज़ा लिया जाएगा।