हिन्दुस्तान में दिखाए जाएँ पाकिस्तानी चैनल-असमा शीरा़जी

असमा शीराजी: पाकिस्तानी अवाम हमेशा जम्हूरियत पसंद रहे हैं और जब कभी भी मुल्क में आमिरीयत-ओ-फ़ौजी हुक्मरानी का दौर आया उस वक़्त अवाम ने मुत्तहदा तौर पर मुल्क में जम्हूरियत की बहाली के लिए जद्द-ओ-जहद की।

सियासत से ख़ुसूसी बात चीत के दौरान ये बात बताई । उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी अवाम ज़रूर आमिरीयत के मज़ालिम के शिकार रहे हैं, लेकिन अब पाकिस्तानी अवाम में भी इस बात की उम्मीदें जाग चुकी हैं और वो ये समझते हैं कि पाकिस्तान में जम्हूरियत को इस्तिहकाम के नए दौर का आग़ाज़ हुआ है। जिस तरह हिंदुस्तानी अवाम को जम्हूरियत के फल हासिल होरहे हैं, इन से पाकिस्तानी अवाम महरूम रहे हैं, लेकिन इस के बावजूद वो जम्हूरियत की बरक़रारी केलिए जद्द-ओ-जहद में हिस्सा लेते हैं।

ये पाकिस्तानी अवाम की बदक़िस्मती रही है कि गुज़िश्ता 66 सालों के दौरान बहुत कम जम्हूरी हुकूमतों से साबिक़ा पड़ा है, लेकिन इस के बावजूद पाकिस्तान में जम्हूरियत नाकाम नहीं हुई है बल्कि पाकिस्तानी अवाम का जम्हूरी ख़मीर मुल्क में जम्हूरियत के इस्तिहकाम की जद्द-ओ-जहद को यक़ीनी बना रहा है।

हिंद-पाक ताल्लुक़ातके बारे में कह दूँ कि दोनों ममालिक को मसला ए कश्मीर के हल के लिए बगैर किसी सालसी(तीसरे पक्ष) के मुज़ाकेरात का आग़ाज़ करना चाहीए। (वाज़िह रहे कि गुज़श्ता दिनों मियां नवाज़ शरीफ़ ने अपने अमरीकी दौरे के दौरान सदर अमरीका बारक ओबामा से मसला कश्मीर के हल के लिए सालसी का किरदार अदा करने की ख़ाहिश ज़ाहिर की थी ।) मियां नवाज़ शरीफ़ का मौक़िफ़ अपनी जगह है, लेकिन बहैसियत पाकिस्तानी मैं इस बात की मुतमन्नी हूं कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान बगैर किसी सालसी के मसले के हल के लिए मुज़ाकेरात करें चूँकि जो कोई सालसी का किरदार अदा करेगा वो दोनों के ताल्लुक़ात का इस्तिहसाल करने से गुरेज़ नहीं करेगा।

मीडिया दोनों ममालिक के ताल्लुक़ात को मुस्तहकम बनाने और दोस्ताना ताल्लुक़ात के फ़रोग़ के लिए इंतिहाई अहम किरदार अदा कर सकता है।अवाम से अवाम के राबते में ज़राए इबलाग़ इंतिहाई अहम किरदार अदा कर रहे हैं। आज पाकिस्तान के हर घर में हिंदुस्तानी चैनल्स देखे जाते हैं, इन चैनल्स के ज़रिया हिंदुस्तानी ज़राए इबलाग़ ज़िम्मेदाराना रवैया इख़तियार करते हुए अपने पयाम दोस्ती को पाकिस्तान के अवाम तक पहुंचा सकते हैं, लेकिन हिंदुस्तान में पाकिस्तानी चैनल्स नहीं दिखाई जाते। इस के बावजूद आज के टेक्नालोजी से हम आहंग दौर में अवाम को अवाम से राबिता से रोकना किसी के बस की बात नहीं है।

सरहद पर होने वाले वाक़ियात का यक़ीनन अवाम पर असर पड़ता है लेकिन सरहद पर वाक़ियात को रोकने के लिए हुकूमतों को ज़िम्मेदाराना किरदार अदा करना चाहिए और सरहद पर होने वाले वाक़ियात पर कंट्रोल के लिए दोनों हुकूमतों को आला सतह पर मुज़ाकरात का आग़ाज़ करना चाहिए। उन्होंने हिंद-पाक ताल्लुक़ात को जुनूबी एशिया की तरक़्क़ी के लिए इंतिहाई नागुज़ीर क़रार देते हुए कहा कि हिंद-पाक ताल्लुक़ात के इस्तिहकाम से जुनूबी एशिया में क़ियाम अमन मुम्किन है। अस्मा शीराज़ी ने हिंद-पाक सरहद पर होने वाले वाक़ियात के लिए दोनों ममालिक को हथियार के तौर पर इस्तिमाल करने वाले अनासिर को ज़िम्मेदार क़रार देते हुए कहा कि दोनों ममालिक के दरमियान बाहमी ताल्लुक़ात इस्तिवार होने से रोकने में जो अनासिर सरगर्म हैं। वो लोग नफ़रत फैलाने में अहम किरदार अदा कर रहे हैं जिस के नतीजे में हालात मामूल पर नहीं आ पारहे हैं।

पाकिस्तानी और हिंदुस्तानी अवाम के बुनियादी मसाइल तकरीबन एक जैसे हैं और हर दो मु्ल्क के अवाम ग़ुर्बत, महंगाई, बर्क़ , पानी, तरक़्क़ी, सेहत, बेरोज़गारी , ख़्वांदगी , मुस्तहकम मईशत और इख़्तयारात केलिए जद्द-ओ-जहद कर रहे हैं। दोनों ममालिक के अवाम आलमी मसाइल पर फ़िक्र करने से मौजूदा सूरत में क़ासिर नज़र आते हैं चूँकि उनके अपने मसाइल उन्हें कई तफ़क्कुरात में मुबतला कर चुके हैं। उन्होंने दोनों ममालिक के ज़राए इबलाग़ इदारों और सहाफ़ियों को मश्वरा दिया कि वो सरहद पर होने वाली कशीदगी के ज़रिया नफ़रत फैलाने के बजाय अवामी मसाइल पर तवज्जे मबज़ूल करते हुए अवाम को अवाम के मसाइल से वाक़िफ़ करवाएं। उन्होंने बिलवासता तौर पर इस बात का एतराफ़ किया कि पाकिस्तानी अवाम को मसला कश्मीर से इतनी ज़्यादा दिलचस्पी बाक़ी नहीं रही बल्कि पाकिस्तानी सियासी जमातें भी अब मसला कश्मीर से रिश्ता तोड़ रही हैं।

अस्मा शीराज़ी ने बताया कि गुज़िश्ता इंतिख़ाबात के दौरान किसी भी पाकिस्तानी सियासी जमात ने मसला कश्मीर पर आँसू बहाते हुए वोट हासिल करने की कोशिश नहीं की जो कि इस बात का बेन सबूत है कि अवाम उस मसला से ऊपर उठकर अपने मसाइल हल करवाने पर तवज्जे मर्कूज़ किए हुए हैं।

सरहदी कशीदगी को पेश करने के मुआमला में हिंदुस्तानी ज़राए इबलाग़ और पाकिस्तानी ज़राए इबलाग़ में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ है। पाकिस्तानी ज़राए इबलाग़ इदारे सरहद पर होने वाली कशीदगी की ख़बरों को दिखाने में इंतिहाई ज़िम्मेदारी का मुज़ाहरा करते हैं जबकि हिंदुस्तानी मीडिया में ये बात नहीं पाई जाती। अस्मा शीराज़ी ने पाकिस्तान की पसमांदगी और मौजूदा सूरत-ए-हाल के लिए फ़ौजी हुकमरानों के अदवार हुकूमत को ज़िम्मेदार क़रार देते हुए कहा कि फ़ौजी हुकमरानों की ग़लत पालिसीयों और फैसलों के सबब आज पाकिस्तान की ये सूरत-ए-हाल हुई है। उन्होंने तवक़्क़ो ज़ाहिर की कि जम्हूरी हुकूमत बिलख़सूस मियां साहिब की हुकूमत मुस्तक़बिल करीब में पाकिस्तान की तरक़्क़ी केलिए ग़ैरमामूली इक़दामात करेगी।

दोनों ममालिक की अफ़्वाज में मौजूद नफ़रत फैलाने वाले अनासिर सरहद पर होने वाली कशीदगी और जंग बंदी की ख़िलाफ़वर्ज़ी के वाक़ियात के लिए वो लोग ज़िम्मेदार हैं जो नहीं चाहते कि दोनों ममालिक के ताल्लुक़ात बेहतर हों। उन्होंने बताया कि दोनों ममालिक के हुक्मराँ तबक़ा को उसे अनासिर की निशानदेही करनी चाहिए ताकि इस तरह के वाक़ियात की रोक थाम को यक़ीनी बनाया जा सके। मुमलकतों के मुस्तक़बिल की तय्यारी करने वालों को चाहिए कि वो इस तरह के अनासिर से चौकन्ना रहीं और अवाम को भी चौकन्ना करें ताकि अवाम के दरमियान नफ़रत पैदा ना हो और सरहदों में बट्टे हुए अवाम कलबी एतेबार से मुत्तहिद रह सकें।

पाकिस्तान के अवाम केलिए इस वक़्त सब से बड़ा मसला दहशतगर्दी है और पाकिस्तानी अवाम दहशतगर्दाना हमलों का शिकार हो रहे हैं। इन हमलों से ख़ुद को निकालने और महफ़ूज़ पाकिस्तान ही पाकिस्तानी अवामी की अव्वलीन तरजीह है।

कश्मीर पर पाकिस्तान का ये दावा है कि कश्मीर पाकिस्तान की शहे रग है और हिंदुस्तान ये दलील पेश करता है कि कश्मीर हमारे जिस्म का अटूट हिस्सा है। इस तरह दोनों ममालिक कश्मीर पर अपने दावे पेश कर रहे हैं लेकिन पाकिस्तानी अवाम अपनी हुकूमत को इस बात का इख़तियार दे चुके हैं कि वो इस मसला पर मुज़ाकरात करें। इसी तरह हिंदुस्तान में भी अवाम को इख़तियार दिया है लेकिन मुज़ाकरात का अमल कैसे आगे बढ़े इस का फैसला दोनों हुकूमतों को ही करना है।

पाकिस्तान की जानिब से मसला कश्मीर के हल के लिए तीसरे फ़रीक़ से दख़ल अंदाज़ी की फ़र्माइश करना दरुस्त नहीं है चूँकि ये दोनों ममालिक का आपसी मसले है और अगर दोनों ममालिक संजीदा कोशिशें करते हैं तो इस मसला पर मुज़ाकरात शुरू होसकते हैं लेकिन ये बात भी सच है कि इस के इमकानात मादूम हैं।
मसला कश्मीर पर मुज़ाकरात केलिए ये ज़रूरी क़रार दिया कि दोनों ममालिक अपने मौक़िफ़ में कुछ नरमी पैदा करें और फिर मुज़ाकरात का आग़ाज़ करें तो ही ये मुज़ाकेरात नतीजा ख़ेज़ साबित होंगे। बसूरत दीगर सूरत-ए-हाल जूं की तूं बरक़रार रहेगी।