हिन्दू तालिबान शब्द का प्रयोग किए जाने को सुप्रीम कोर्ट ने बताया गलत

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकारों के वकील द्वारा ‘हिन्दू तालिबान’ शब्द का प्रयोग किए जाने को सुप्रीम कोर्ट ने गलत बताया। इसके बावजूद मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन अपने बयान पर अड़े रहे। इस दौरान कोर्ट में मौजूद एक वकील ने भी इस शब्द पर कड़ी आपत्ति जाहिर की, जिसके चलते करीब 15 मिनट तक अदालत कक्ष का माहौल तनावपूर्ण बना रहा। मुस्लिम पक्ष के वकील ने किया था इस शब्द का उपयोग

13 जुलाई को पिछली सुनवाई के दौरान धवन ने कहा था कि जिस तरह मुस्लिम तालिबानियों ने जैसे बुद्ध की मूर्ति को तोड़ा था, उसी तरह 1991 में बाबरी मस्जिद को हिन्दू तालिबानियों ने ढहा दिया था। शुक्रवार को अदालती कार्रवाई शुरू होते हुए एक वकील ने राजीव धवन के हिन्दू तालिबान शब्द का इस्तेमाल किए जाने पर आपत्ति जताई। वकील ने पीठ से शिकायत की कि आखिर धवन इस तरह का शब्द का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं। इस पर धवन ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा। उन्होंने कहा कि वह अपने बयान पर कायम है। बाबरी मस्जिद को तोडने वाले हिन्दू तालिबान थे, हिन्दू आतंकवादी थे।

इस पर एक वकील तेज आवाज में धवन पर चीखने लगे और धीरे-धीरे धवन के करीब पहुंच गए। वकील ने कहा कि आखिर धवन तालिबान की तुलना हिन्दू से कैसे कर सकते हैं। दोनों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई, जिस पर कुछ वकीलों ने बीचबचाव कराते हुए दोनों को दूर किया। इसके बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने हस्तक्षेप करते हुए सुरक्षा कर्मियों से धवन के साथ उलझ रहे वकील को बाहर करने के लिए कहा।

इसके बाद चीफ जस्टिस ने धवन से कहा कि अदालत में सुनवाई के दौरान ‘हिन्दू तालिबान’ शब्द का इस्तेमाल अनुचित विशेषण है। अदालत में चाहे वरिष्ठ अधिवक्ता हो या कोई और, सभी को हर हालत में अनुशासन कायम रखना चाहिए। इस पर धवन ने एतराज जताते हुए कहा कि मैं नहीं मानता कि हिन्दू तालिबान का इस्तेमाल अनुचित है। जवाब में पीठ ने धवन से कहा, आप जो समझें, वह समझ सकते हैं। लेकिन हमारा मानना है कि हिन्दू तालिबान शब्द का इस्तेमाल उचित नहीं है।