हिन्दू दहश्तगर्दी पर अमरीकी रिपोर्ट

अमरीकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में एक बार फिर ये वाज़िह हुआ है कि हिंदूस्तान में हिंद-ओ-दहश्तगर्द तंज़ीमें मुख़्तलिफ़ हमले करने का मंसूबा बना रही हैं। ये रिपोर्ट हिंदूस्तान के दाख़िली हालात पर कई इन्किशाफ़ात के साथ मंज़रे आम पर आई है जिस में कई अहम उमूर पर रोशनी डाली गई है । हालाँकि ये कोई सरकारी दस्तावेज़ या एन्टुली जिन्स इत्तिला नहीं है लेकिन इस हक़ीक़त से इनकार नहीं किया जा सकता कि हालिया बरसों में हिंदूस्तान में दाख़िली सतह पर हिन्दू दहश्तगर्द तंज़ीमों का वजूद सामने आया है और अब इस हक़ीक़त से कोई इनकार नहीं करसकता कि हिन्दू दहश्तगर्दी आज हिंदूस्तान की एक ऐसी हक़ीक़त है जिस से कोई इनकार नहीं किया जा सकता। वैसे तो हिंदूस्तान में कई गोशों की जानिब से जो समाज में बेहतरी और अक़ल्लीयतों के हुक़ूक़ की जद्द-ओ-जहद कर रहे हैं हिन्दू दहश्तगर्दी के ताल्लुक़ से वक़फ़ा वक़फ़ा से अर्बाब मजाज़ और हुक्काम की तवज्जा मबज़ूल करवाया जाता रहा है लेकिन सीकीवरीटी और एन्टुली जिन्स एजैंसीयां बज़ाहिर उस मसला पर इतनी तवज्जा नहीं दे रही थीं जितनी देनी चाहीए थी । सब से ज़्यादा वाज़िह अंदाज़ में मालीगावं में हुए बम धमाकों के बाद हिन्दू दहश्तगरदों के रोल के ताल्लुक़ से इन्किशाफ़ हुआ था । हालाँकि उस वक़्त भी हसब रिवायत तहक़ीक़ाती एजैंसीयों ने मुस्लमानों को निशाना बनाते हुए ही तहक़ीक़ात शुरू की थीं। इसी तरह हैदराबाद की तारीख़ी मक्का मस्जिद में बम धमाकों के फ़ौरी बाद लश्कर-ए-तुयबा और शाहिद बिलाल के नाम लिए गए थे लेकिन इन में भी हिन्दू दहश्तगरदों का रोल ही सामने आया है और अब अदालतों में उन के ख़िलाफ़ इस धमाका के मुक़द्दमात चल रहे हैं। गोवा में दीपावली से ऐन क़बल धमाका मैं ख़ुद बम मुंतक़िल करने वाले हिन्दू तंज़ीमों के अरकान मुतास्सिर हुए थे । हिंदूस्तान-ओ-पाकिस्तान के माबैन चलने वाली समझौता ऐक्सप्रैस में बम धमाका हुआ तो इस में भी मुस्लमानों पर ही शक की नज़र डाली गई थी लेकिन इन में भी उन्हें अनासिर का रोल सामने आया है जो मालीगावं और हैदराबाद की मक्का मस्जिद के धमाकों में मुल्ज़िम क़रार पाए हैं। हिन्दू दहश्तगर्दी का हक़ीक़ी चेहरा बेनकाब करने में महाराष्ट्रा ए टी उसके उस वक़्त के सरबराह हेमंत करकरे का अहम रोल रहा जो मुंबई में हुए दहश्त गिरदाना हमला में शहीद होगए थे ।
अब जबकि अमरीकी कांग्रेस की रिपोर्ट में भी हिन्दू दहश्तगर्दी के ख़तरात का तज़किरा किया गया है और उसे हिंदूस्तान का एक अहम तरीन मसला क़रार दिया गया है तो हमारे मुल़्क की तहक़ीक़ाती एजैंसीयों और एन्टुली जिन्स इदारों को इस जानिब बतौर ख़ास तवज्जा दीनी चाहीए । मुल्क में किसी भी मुक़ाम पर कोई भी दहश्त गिरदाना कार्रवाई होती है तो तहक़ीक़ाती एजैंसीयां बला झिझक मुस्लिम तंज़ीमों और नौजवानों को निशाना बनाने की तैय्यारीयां शुरू करदेती हैं लेकिन उन्हें किसी भी पहलू को ख़ारिज अज़ इमकान क़रार नहीं देना चाहीए और सभी तंज़ीमों और गोशों के रोल की तहक़ीक़ात करनी चाहीए । गुज़शता जुलाई में मुंबई में तीन मुक़ामात पर बम धमाके हुए । इन धमाकों में हालाँकि किसी तंज़ीम को रास्त मुलव्वस क़रार नहीं दिया गया था लेकिन तहक़ीक़ाती एजैंसीयां अभी तक इन धमाकों के ज़िम्मेदारों के ताल्लुक़ से कोई वाज़िह सुराग़ हासिल करने में कामयाब नहीं होसकी हैं। अबोही ये मालूम नहीं होसका है कि इन धमाकों का ज़िम्मेदार कौन है । इस के बाद दिल्ली में हाइकोर्ट की गेट पर एक धमाका हुआ । इस में भी बेक़सूर अफ़राद की जानें तलफ़ हुईं। अभी तक तहक़ीक़ाती एजैंसीयां सिर्फ ई मेल रवाना करने वाले नौजवानों को हिरासत में लेने के इलावा कोई और कार्रवाई नहीं करसकी हैं। होसकता है कि तहक़ीक़ात में उन्हें कोई कामयाबी मिली हो ताहम अभी इस का इन्किशाफ़ करना मुनासिब ना हो लेकिन हिंदूस्तानी अवाम ये जानने केलिए बेचैन हैं कि आख़िर कौन है जो वक़फ़ा वक़फ़ा से जब चाहे मलिक के किसी ना किसी शहर को निशाना बनाने में कामयाब होजाता है और बेक़सूर अफ़राद अपनी जानें गंवा बैठते हैं या जो ज़िंदा बच जाते हैं वो या तो माज़ूर होजाते हैं या फिर शदीद ज़ख़मी । हर हिंदूस्तानी चाहता है कि ऐसे अनासिर का पता चलाते हुए उन्हें कैफ़र-ए-किरदार तक पहूँचा या जाय और सख़्त सज़ाएं दिलवाई जाएं।
ये नहीं कहा जा सकता कि हर धमाका हिन्दू दहश्तगर्द तंज़ीमों ने ही किया है या मुस्लिम ग्रुपस या दहश्तगरदों ने ही किया है लेकिन इस हक़ीक़त से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब कभी कोई दहश्त गिरदाना कार्रवाई होती है मलिक के मुस्लमानों में अदम तहफ़्फ़ुज़ का एहसास पैदा होजाता है जिस का ख़ुद वज़ीर-ए-आज़म ने क़ौमी यकजहती कौंसल के इजलास की अपनी तक़रीर में एतराफ़ किया है । अब जबकि अमरीकी कांग्रेस की रिपोर्ट में भी हिन्दू दहश्तगर्द तंज़ीमों के मंसूबों और अज़ाइम का इन्किशाफ़ हुआ है तो हमारी तहक़ीक़ाती एजैंसीयों और खासतौर पर एन्टुली जिन्स एजैंसीयों की ये ज़िम्मेदारी है कि वो इस तरह के मंसूबों का क़बल अज़ वक़्त पता चलाने की कोशिश करें ताकि मज़ीद बेगुनाह शहरीयों की जानें तलफ़ ना होने पाइं और दहश्तगरदों को उन के अज़ाइम में कामयाबी मिलने से क़बल ही बेनकाब किया जाय । इन एजैंसीयों की पेशावराना महारत का तक़ाज़ा यही है कि इन इत्तिलाआत की मुकम्मल ग़ैर जांबदाराना और पूरी महारत के साथ तहक़ीक़ात की जाएं।