हिन्दू धर्म की प्रथा, माहवारी आने पर लड़कियों को डाल दिया जाता है जानवरों के बाड़े में

वैसे तो बहुत से  इतिहासकार दावा करते हैं कि हिन्दू धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है और आज का वक़्त देखें तो बहुत से बाबा लोग इसे दुनिया का सबसे सही धर्म बताने पर तुले हुए हैं।

आज देश के हालातों की बात करें तो देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की हिन्दू कट्टरवादी संगठन भरपूर कोशिश कर रहे हैं। कहा जाता है की हिन्दु धर्म का जन्म नेपाल में हुआ था और नेपाल से भारत आये मुट्ठी भर ब्राह्मणों ने यहाँ के मूलनिवासियों को भर्म में डालकर यह बात मनवा ली कि वो भी हिन्दू ही हैं। अगर हिन्दू धर्म की सच्चाई जाने हो तो आज देश में जिस मनुस्मृति की कॉपियां जलाई जाती हैं उसे पढ़ लेने से ही हिन्दू धर्म की सोच का पता पढ़ने वाले इंसान को पता चल जाएगा। एक तरफ जहाँ मनुस्मृति में औरतों को मर्द के पैर की जूती के बराबर दिखाया गया है वहीँ इतने साल पुरानी सोच को बदलने के लिए हिन्दू समाज कुछ कर रहा हो ऐसा नेपाल और बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं को देखकर तो नहीं लगता है।

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आज हम आपको बताते हैं हिन्दू धर्म से ज़ुड़ी एक प्रथा की जो इस मजहब में औरतों और लड़कियों पर होते गलत बर्ताव का आइना आपको दिखाएगी। नेपाल जोकि हिन्दु धर्म का जन्मस्थल माना जाता है में और इसके साथ ही भारत और बांग्लादेश में रह रहे हिन्दू परिवार एक ख़ास प्रथा का पालन करते हैं। इस प्रथा को छौपदी कहा जाता है जिसका मतलब होता है अनछुआ या अछुत। छौपदी को भारत के भी कई हिस्सों में आज भी माना जाता है।

इस प्रथा के मुताबिक लड़कियों को माहवारी या पीरियड जोकि एक कुदरती प्रक्रिया है के दौरान बड़े ही अजीबोगरीब और शर्मनाक हालातों से गुजरना पड़ता है। साल के ख़ास दिनों में देवी का रूप मान कर घर घर में पूजी जाने वाली लड़कियों को पीरियड आने पर लड़कियों को गाय के बाड़े में डाल दिया जाता है। इसके बाद पांच दिन तक लड़कियां बेहद खराब हालातों का सामना करती हैं और उनपर कई पाबंदियां लगा दी जाती हैं।

इन पाबंदियों के चलते लड़कियां न तो घर में नहीं घुस सकतीं हैं और न ही अपने माँ-बाप को छू सकती हैं। इस दौरान उन्हें खाना बनाने और मंदिर जाने की सख्त मनाही होती हैं क्यूंकि हिन्दू धर्म के अनुसार वो अपवित्र होती हैं।

इतना ही नहीं अगर कोई लड़की यह सब करने से मन करती है या प्रथा तोड़ने की कोशिश करती है तो उसे सजा भी दी जाती है। इन इलाकों में रहने वाले और इस प्रथा को मानने वाले हिन्दू धर्म के लोगों का मानना है कि माहवारी/ पीरियड्स के दौरान अगर कोई लड़की या औरत फसल को हाथ लगा दे तो फसल बर्बाद हो जाती है। अगर वो खुद से पानी लेले या पानी के बर्तन को छु ले तो इलाके में सूखा पड़ता है। यही नहीं उनका मान यह भी है कि अगर लड़की इन दिनों में किसी फल काे हाथ लगा दे तो वह फल कभी नहीं पकता।

इतना ही नहीं प्रेगनेंसी के बाद भी यहाँ की औरतों और लड़कियों को बहुत कुछ झेलना पड़ता है। इसी प्रथा के मुताबिक बच्चा पैदा होने के कुछ दिन बाद तक औरतों और उनके बच्चे को जानवरों के बाड़े में ही रख जाता है क्यूंकि इस दौरान उन्हें अछूत ही मान जाता है।

ऐसा ही एक वाक़या सांझा करते हुए एक लड़की लक्ष्मी राउत ने बताया: “मुझे डिलिवरी के बाद अपने बच्चे समेत 18 दिन तक बाड़े में रहना पड़ा था। इसी दौरान सर्दी के कारण मेरे बच्चे को फ्लू से मौत हो गई”