हिन्दू माँ बाप की मुस्लिम बेटी फ़र्ज़ाना की शादी

हैदराबाद 29 अप्रैल : हमारे तारीख़ी शहर हैदराबाद से तक़रीबन 70 केलो मीटर दूरी पर वाके एक छोटे से गांव गोराय पली में आज इंसानियत, क़ौमी यकजहती, भाई चारा, ईसार-ओ-ख़ुलूस और मुक़द्दस इंसानी रिश्तों की पाकीज़गी का अज़ीमुश्शान और आमली मुज़ाहरे देखने में आया।

या दुगीर् गट्टा से 7 केलो मीटर दूरी पर मौजूद इस गांव में ऐसा लग रहा था कि सेकूलर अज़म और क़ौमी यकजहती अपनी कामयाबी-ओ-कामरानी का जश्न मना रही हो। इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड के एक रिटायर्ड ओहदेदार जी माधव रेड्डी और उनकी बीवी लक्ष्मी रेड्डी अपनी मुस्लिम बेटी फ़र्ज़ाना उर्फ़ ख़ज़ाना की शादी कर रहे थे।

क़ारईन & सियासत ने दो यौम पहले जनाब माधव रेड्डी और उनकी बीवी लक्ष्मी रेड्डी के बारे में एक ख़ुसूसी रिपोर्ट शाय की थी जिस में बताया गया थाकि इस हिंदू जोड़े ने किस तरह एक यतीम मुस्लिम लड़की फ़र्ज़ाना को अपने सीने से लगाकर पाला, उसकी परवरिश की, अच्छी तालीम दिलाई और उसके लिए अच्छे दूल्हे का इंतिख़ाब भी किया।

उन हिंदू वालदैन की मुस्लिम बेटी की शादी में शहर हैदराबाद से लेकर दीगर जिले से मेहमान, मुमताज़ सियासी व समाजी शख़्सियतों और मीडया के नुमाइंदों ने श्मिल हुए। फ़र्ज़ाना की तालीम की खर्च‌ में अहम रोल अदा करने वाले हैदराबाद ज़कात ऐंड चियार टेबल ट्रस्ट के सरबराह जनाब ग़ियास उद्दीन बाबू ख़ां और उनकी अहलिया मुहतरमा शुजाअत बाबू ख़ां शादी की इस तक़रीब में शुरू से लेकर दुल्हन की विदाई तक मौजूद रहे।

आप को फिर एक बार बतादें कि माधव रेड्डी और उनकी बीवी लक्ष्मी रेड्डी ने जहां फ़र्ज़ाना की तालीम व तर्बीयत में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी वहीं उस लड़की को मुकम्मल मज़हबी आज़ादी देते हुए उसके लिए दीनी तालीम का तक इंतिज़ाम करवाया। इस इंसानियत नवाज़ जोड़े ने अपनी मुस्लिम लख़त-ए-जिगर की तक़रीब निकाह में मुस्लिम रवायात का मुकम्मल ख़्याल रखा।

वाज़ह रहे कि माधव रेड्डी ने फ़र्ज़ाना बेगम को उस वक़्त अपनी बेटी बनालिया था जब इस मासूम की उम्र सिर्फ़ 8 साल थी और इस बच्ची के सर से माँ बाप का साया सर से उठ चुका था लेकिन इस इंसानियत नवाज़ शख़्स ने मासूम फ़र्ज़ाना के सर पर अपना दस्त शफ़क़त रखा और उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा में तुम्हारा डैडी हूँ और ये तुम्हारी मम्मी हैं।

इन यादगार लम्हात से अब तक इस जोड़े ने फ़र्ज़ाना को इस क़दर प्यार दिया कि वो अपने हक़ीक़ी माँ बाप को ही भूल गई। माधव रेड्डी के अमेरीका में मुक़ीम दो बेटे भी अपनी बहन फ़र्ज़ाना से ग़ैरमामूली उनसीत रखते हैं। ये भाई बहन हर रोज़ एक दूसरे से फ़ोन पर बात किए नहीं रहते।

माधव रेड्डी और उनकी बीवी ने अपनी बेटी फ़र्ज़ाना उर्फ़ ख़ज़ाना के लिए क़रीबी गांव मुसाई पेन के रहने वाले नौजवान अबदुर्रशीद का इंतिख़ाब किया और बड़ी धूम धाम लेकिन मुतास्सिरकूण अंदाज़ में ये शादी अंजाम पाई। गर्वनमेंट स्कूल गोराय पली में सारा गांव उमड आया था जबकि माधव रेड्डी और उनकी बीवी ने हैदराबाद और दीगर अज़ला में मुक़ीम अपने रिश्तेदारों की एक कसीर तादाद को भी दावत‌ किया था।

ठीक दोपहर देढ़ बजे मुहम्मद ताहिर अली अख़तर मुक़ामी क़ाज़ी ने निकाह पढ़ा और तर्जुमा सुनाया। इस मौके पर क़ाज़ी साहब-ओ-दीगर मुअज़ज़ मेहमानों ने माधव रेड्डी के लिए बारगाहे रब में दुआएं भी कीं। दिलचस्पी की बात ये रही कि 8 साल की उम्र में अपने वालिद जमाल साहब और माँ से महरूम हो जाने वाली फ़र्ज़ाना बेगम के निकाह नामा पर माधव रेड्डी ने दस्तख़त किए और उनकी अहलिया अपनी बेटी की जुदाई से काफ़ी रंजीदा दिखाई दे रही थीं।

शादी की तक़रीब में फ़र्ज़ाना के ददहाल-नन्हियाली रिश्तेदारों ने भी शिरकत की। तक़रीब निकाह में मुतास्सिरकूण आपसी ख़ुलूस के बाइस मेज़बानों और मेहमानों में फ़र्क़ करना मुश्किल होगया था। गांव के बुज़ुर्गों ने बताया कि आज हमारे गांव से ख़ज़ाना जा रहा है।

माधव रेड्डी फ़र्ज़ाना को प्यार से ख़ज़ाना कह कर बुलाते हैं और सारे गांव में वो इसी नाम से मशहूर होगई। राक़िम उल-हरूफ़ ने देखा कि माधव रेड्डी की रिश्तेदार ग़ैर मुस्लिम ख्वातीन और लड़कियों ने खासतौर पर अपने हाथों पर मेहंदी लगाई
ख़ानदानों की रवायात के मुताबिक़ सानचक़ का मंडप भी लगाया गया था।

मुक़ाम निकाह रवानगी से पहले दुल्हन ने अपने मकान में दो रकात नफिल नमाज़ अदा की। तक़रीब निकाह के बाद जब दुल्हन की विदाई का वक़्त आया माधव रेड्डी और उनकी अहलिया लक्ष्मी रेड्डी फूट फूट कर रोने लगे। जबकि बेटी भी अपने पापा का घर छोड़कर पिया के घर जाते हुए अपने आँसूओं पर क़ाबू पा ना सकी।

विदाई तक़रीब में ग़ैरमामूली जज़बाती मुनाज़िर देखे गए। ख़ुद गांव वाले भी रो रहे थे। बहरहाल माधव रेड्डी और उनकी अहलिया ने क़ौमी यकजहती इत्तिहाद-ओ-इत्तिफ़ाक़ और इंसानियत की एक रोशन मिसाल क़ायम करते हुए दुनिया को दिखाई दिया कि हम हिन्दुस्तानियों के इत्तिहाद-ओ-इत्तिफ़ाक़ को मुट्ठी भर फ़िर्कापरस्त और अमन के दुश्मन नुक़्सान नहीं पहुंचा सकते हैं और हिन्दुस्तानियों के लिए इंसानियत ही सब कुछ है।