हिन्दू समाज ने विश्व हिन्दू परिषद को ठुकराया

पूरे मुल्क खुसूसन उत्तर प्रदेश के हिन्दू समाज ने इस बार विश्व हिन्दू परिषद और पूरे आरएसएस कुन्बे को साफ बता दिया कि अब वह भगवान राम के नाम पर परिषद और आरएसएस की जालसाजियों में फंस कर बीजेपी का वोट बैंक बनने के लिए तैयार नहीं है। इसका सुबूत हिन्दू समाज ने उस वक्त दिया जब 25 अगस्त से विश्व हिन्दू परिषद ने चैरासी कोसी परिक्रमा करने का ऐलान किया था।

अशोक सिंघल, प्रवीण तोगडिया, चिन्मयानंद समेत विश्व हिन्दू परिषद के तकरीबन एक दर्जन लोगो को गिरफ्तार किया गया, लेकिन उनकी हिमायत में आम हिन्दू सड़को पर नहीं निकले। यह नाकामी महज वीएचपी की नहीं है, चैरासी कोसी परिक्रमा की नाकामी बीजेपी के नए मालिक बने नरेन्द्र मोदी के अरमानों पर पानी फेरने वाली है।

बीजेपी के करीबी जराए के मुताबिक नरेन्द्र मोदी ने शुमाली हिंद खुसूसन उत्तर प्रदेश के हिन्दुओं की नब्ज टटोलने की गरज से पहले अपने एक दागी साथी अमित शाह को अयोध्या भेजकर ऐलान कराया था कि उनकी पार्टी अयोध्या में आलीशान राम मंदिर की तामीर के लिए पाबंद है। उनके उस बयान के बाद बीजेपी के लीडरों ने उत्तर प्रदेश में फिर्कावाराना माहौल गर्म करने की कोशिश शुरू कर दी थी।

उसी के बाद नरेन्द्र मोदी के इशारे पर वीएचपी ने चैरासी कोसी परिक्रमा का राग छेड़ दिया। ताकि इसके जरिए आम हिन्दुओं के जज्बात भड़काए जा सकें। लेकिन इस काम में उन्हे‍ नाकामी ही हाथ लगी। आम हिन्दुओं में अब बीजेपी और आरएसएस की वोटो की जालसाजी नही चलने वाली। शायद इसका अंदाजा अयोध्या तहरीक के दौरान आगे-आगे रहने वाले विनय कटियार, उमा भारती और ऋतभंरा नाम की साध्वी को भी लग गया था इसीलिए यह तीनों भी ज्यादा सरगर्म नहीं दिखे। उमा भारती ने भगवान राम और चैरासी कोसी परिक्रमा के मुकाबले रेप केस में फंसे आसाराम बापू की पैरोकारी करना ज्यादा मुनासिब समझा।

ऋतभरा कहां है किसी को मालूम नहीं और विनय कटियार आज कल अमन और भाईचारे की बातें करते फिरते रहते हैं। इस बार ‘‘सौगंध ( कसम) राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे’’, ‘‘रमा लाल हम आएंगे मंदिर यही बनाएं’’, ‘‘ तेल लगाओ डाबर का, नाम मिटाओ बाबर का’’ जैसे नारो की गूंज भी कहीं नहीं सुनाई दी।

अशोक सिंघल समेत दंगाई गिरोह के दीगर तमाम लोगो को कई दिन पहले ही अंदाजा हो गया था कि अब उत्तर प्रदेश का आम हिन्दू उनकी जालसाजी में फंसने को तैयार नहीं है। इसीलिए 25 अगस्त से चैरासी कोसी परिक्रमा हर हाल में शुरू करके अशोक सिंघल महज एक दिन के लिए दिल्ली वापस गए और यह ऐलान किया कि वह 25 अगस्त को सुबह की फ्लाइट से लखनऊ पहुंचेंगे। इस एलान के पीछे उनका असल मंशा यही था कि उन्हें एयरपोर्ट से ही गिरफ्तार कर लिया जाए ताकि अयोध्या पहुंच कर अकेले खड़े रहकर वह अपनी नाक कटने से बचा सके।

प्रवीण तोगडि़या छिप छिपाकर अयोध्या तो पहुंच गए थे लेकिन उनके साथ दर्जन भर लोग भी नहीं थे। चिन्मयानंद भी बड़ी-बड़ी डींगे हांकते थे लेकिन उनके साथ भी पच्चीस- पचास हिन्दू खड़े होने को तैयार नहीं हुए। इस तरह अगले साल के शुरू में होने वाले लोकसभा इलेक्शन में हिन्दुओं के जज्बात भड़काकर वोट हासिल करने का नरेन्द्र मोदी और आरएसएस का मंसूबा पहले मरहले में तो नाकाम ही हो गया है।

समाजवादी पार्टी के कौमी सदर मुलायम सिंह यादव ने भी लोकसभा में बीजेपी और पूरे आरएसएस कुन्बे को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि यह लोग गुण्डई करके उत्तर प्रदेश में दंगा-फसाद कराना चाहते हैं हम उत्तर प्रदेश में ना तो इनकी गुण्डई चलने देंगे और न ही दंगा-फसाद होने देंगे।

उन्होंने कहा कि आरएसएस, बीजेपी और वीएचपी के लोग बड़े-बड़े दावे करते थे, लम्बी -चैड़ी डींगे हाकते थे लेकिन दुनिया ने देख लिया कि एक भी हिन्दू इनके साथ खड़े होने के लिए तैयार नहीं है। जब मुलायम सिंह यादव लोक सभा में बोल रहे थे उस वक्त बीजेपी के आदित्य नाथ ने उन्हें टोकने की कोशिश की तो मुलायम सिंह ने उन्हें डांट कर बिठा दिया। बाद में जब आदित्यनाथ को बोलने का मौका मिला तो उन्होंने अस्ल मुद्दे के बजाए मुलायम सिंह के समाजवाद और कुन्बापरस्ती की बाते ही कहीं।

आदित्यनाथ यह नहीं बता सके कि चैरासी कोसी परिक्रमा के नारे का कोई असर हिन्दू समाज पर क्यों नहीं पड़ा। किसी भी सूरत में चैरासी कोसी परिक्रमा करने पर अड़े विश्व हिन्दू परिषद के लीडरों के दावे आम हिन्दुओं का साथ ना मिलने की वजह से हवा हो गए। इसके साथ आम हिन्दुओं के जज्बात भड़काकर बीजेपी के लिए वोट बटोरने की उनकी कोशिश भी नाकाम हो गई।

दरअस्ल बीजेपी के अंदर एक ग्रुप नहीं चाहता था कि इस वक्त चैरासी कोसी परिक्रमा निकले। इस गिरोह का मानना था कि चैरासी कोसी परिक्रमा को लोकसभा इलेक्शन से ठीक पहले निकाला जाता तो इंतेखाबात के जमाने में आम हिन्दुओं के जज्बात भड़काकर उनके वोट आसानी से हासिल किए जा सकते थे। लेकिन इस वक्त चैरासी कोसी परिक्रमा के विश्व हिन्दू परिषद के ड्रामें को आम हिन्दुओं ने बुरी तरह नकार दिया है। इस तरह वीएचपी की जल्दबाजी से बीजेपी के हाथ से एक मौका निकल गया।

अब दुबारा अगर पांच या चौदह कोसी परिक्रमा को कभी निकाला भी जाएगा तो लोग उसमें बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं लेंगे और न ही बीजेपी के झांसे में आएंगे। वीएचपी के जरिए चैरासी कोसी परिक्रमा का ऐलान महज सियासी ड्रामा है। इस बात को आम हिन्दू तो समझ ही गए थे चैरासी कोसी परिक्रमा का इंतेजाम संभाल रहे महंत गया दास भी इस ड्रामे के पीछे के मकसद को समझ गए थे तभी तो उन्होंने परिक्रमा शुरू होने से पहले ही इससे किनारा कर लिया था।

आम हिन्दू तो वीएचपी लीडरों के साथ निकला ही नहीं तो आरएसएस की तमाम ब्रांचो के वर्करों ने परिक्रमा के बजाए गिरफ्तारी देकर यह बताना चाहा कि उन्हें हुकूमत ने रोका है। इन लोगो की बेईमानी इसी से सामने आती है कि इनको मालूम था कि रियासत की हुकूमत ने परिक्रमा रोकने के लिए सख्त इंतेजामात किए है तभी तो यह लोग सर पर भगवा कपड़ा लपेट कर निकले ताकि इन्हें फौरन पुलिस पकड़ ले। अगर वीएचपी, बजरंग दल, बीजेपी या आरएसएस से जुड़ी दीगर फिरकापरस्त तंजीमों के लोगो को परिक्रमा करना ही थी तो यह लोग आम मुसाफिरों की तरह अयोध्या जा सकते थे क्योंकि मुसाफिरों के आने जाने पर कोई पाबंदी नहीं थी मगर इन लोगों को चूंकि ड्रामा करना था लिहाजा शोर मचाते हुए निकले और पुलिस के हाथ चढ़ गए।

यही वजह थी कि पूरी रियासत से ढाई हजार के करीब लोग गिरफ्तार हुए जिनमें एक दिन बाद ज्यादातर को रिहा कर दिया गया। अशोक सिंघल और दीगर वीएचपी लीडरान को भी रिहा कर दिया गया है। वीएचपी लीडरान का मकसद चौदह कोसी परिक्रमा करने के बजाए आम हिन्दुओ के जज्बात भड़काकर उन्हें बीजेपी के हक में करना था और इस काम में वह बुरी तरह नाकाम रहे।

यही वजह थी कि वीएचपी ने परिक्रमा के ऐलान को वापस नहीं लिया था लेकिन रिहाई के बाद उसके सिंघल और तोगडि़या जैसे कई लीडरों ने अयोध्या जाने की जरूरत नहीं समझी। इसके बावजूद चूंकि परिक्रमा वापस लेने का ऐलान नहीं हुआ था इसलिए रियासत की हुकुमत ने पाबंदियां जारी रखने और दफा-144 लगाए रखने का एलान कर रखा है।

रियासती हुकूमत ने परिक्रमा रोकने के लिए सख्त इंतेजामात किए थे और फैजाबाद, बाराबंकी, बहराइच, बस्ती, अम्बेडकरनगर और गोण्डा में तीन दर्जन से ज्यादा आरजी (Temporary) जेले भी बनाई थी। लेकिन चूंकि वीएचपी के प्रोग्राम को आम हिन्दुओं ने पूरी तरह ठुकरा दिया था लिहाजा वह जेलें भी भर नहीं पाई। विश्व हिन्दू परिषद के लीडरों को मुल्क की अदलिया (Judiciary) के हुक्म की खिलाफवर्जी करने की चूंकि आदत है लिहाजा हाईकोर्ट के जरिए चैरासी कोसी परिक्रमा की इजाजत के लिए दाखिल की गई पीआईएल के खारिज किए जाने के बावजूद विश्व हिन्दू परिषद ने अपने प्रोग्राम में कोई तरमीम या तब्दीली नहीं की।

रियासती हुकूमत ने सभी जिले की सरहद पर 560 बैरियर लगा दिए थे साथ ही 24 अगस्त से ही वीएचपी लीडरो और कारकुनो की गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू कर दिया था तो किसी भी हालत में परिक्रमा करने के ऐलान पर अड़े ज्यादातर वीएचपी लीडर अंडरग्राउंड हो गए थे। कुछ ने खुद ही पुलिस को पकड़वा दिया और बाद में यह कहा कि पुलिस ने उन्हे जाने ही नहीं दिया।

दरअस्ल विश्व हिन्दू परिषद के जरिए एलानकर्दा चैरासी कोसी परिक्रमा के प्रोग्राम में आम हिन्दुओ की दिलचस्पी ना होने की वजह से वीएचपी लीडर खुद चाहते थे कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए ताकि आवाम में यह मैसेज ना जाए कि आम हिन्दुओं ने वीएचपी को ठुकरा दिया है, मगर मैसेज तो चला ही गया।

———बशुक्रिया: ज़दीद मरकज़