वज़ीरे आला नीतीश कुमार ने अपोजीशन पार्टी भाजपा को चैलेंज दी कि अगर हुकूमत में काबलियत नहीं है, तो वह एवान में अदम एतमाद तजवीज लाये। आखिर भाजपा हर दिन बयानबाजी करती है, तो तजवीज क्यों नहीं लाती। जब हुकूमत ने यकीन का तजवीज लाया, तो वे उठ कर चले गये। बयान से सब कुछ नहीं चलता।
भाजपावाले रोज अनाप-शनाप बयान देते रहे हैं। कहते है कि हुकूमत हर मोरचे पर नाकामयाब है, तो एवान में बहस से क्यों भागते हैं? उन्होंने पूछा कि हुकूमत किसी की रहम पर तो नहीं है। आवाम ने मैंडेट दिया है। सच तो यह है कि भाजपा नकली ओपोजीशन है। डाही ओपोजीशन है। असली ओपोजीशन तो राजद है। हुकूमत से हटाये गये, तो बीच में बैठना चाहिए। इक्तिदार से हटे, तो जाकर ओपोजीशन की कुरसी पर बैठ गये। नक़ल मकानी करना तो भाजपा की सियासत में शामिल है। जहां जाते हैं, नक़ल मकानी करने का काम करते हैं।
वज़ीरे आला बुध को एसेम्बली में ‘रियासत में दहशतगर्द, फिरकापरस्त और नक्सलवाद से पैदा सुरते हाल’ पर खास बहस के दौरान भाजपा के इल्ज़ाम का जवाब देते हुए कहा कि वे खुद 66 प्रेस रिलीज जारी करते हैं। प्रेस कोन्फ्रेंस को पीसी कहते हैं। न जाने एक दिन में कितने लोग पीसी करते हैं? ये लोग अफवाह मास्टर लोग हैं। कहते हैं कि वज़ीरे आला रियासती विधेयक पेश नहीं करेंगे, तो सुनेंगे ही नहीं। पहले के वज़ीरे आला से लेकर इस रिवायत को देख लिया जाये। क्या ऐसी रिवायत नहीं है?
असूल की बात है. इंचार्ज वज़ीर को हुकूमत की तरफ से बोलने का हक़ है। इल्ज़ाम लगाते हैं कि गांधी मैदान में हुई दहशतगर्द वाकिया में मारे गये लोगों से मिलने हुकूमत का कोई सख्स नहीं आया। हमारे पार्टी के लीडर मंजीत सिंह गोपालगंज में मैयत अहले खाना से मिले थे। भाजपावाले यह क्यों नहीं बताते कि अहमदाबाद में हुए धमाके में कौन गये थे। यहां तो आ गये। गुजरात के लोग आज भी उनका इंतजार कर रहे हैं। ये ऐसे लोग हैं, जो दहशतगर्द पर बात करेंगे, पर फिरका परस्त के मौजू को छोड़ देंगे। इंतिख़ाब के माहौल में ये नक्सलवाद की बात कर रहे हैं। नक्सलवाद की वाकिया मुल्क भर का मसला है। बिहार में नक्सली वारदात हुई हैं, जबकि उसका मुतासीर इलाका कम हुआ है। नक्सलवाद को लेकर भाजपा के लोग सीएम की मुज़म्मत करते हैं। इससे नक्सलवाद की मसला का हल हो जाये, तो वह मुजम्मत सुनने को तैयार हैं। अपोजीशन का इल्ज़ाम है कि वह काबीना के तौसिह नहीं कर रहे हैं। काबीना तौसिह की जिम्मेवारी वज़ीर की है। पर, ये लोग फिक्रमंद हो रहे हैं।