हीरे को भी तराशना पड़ता है! इस तरह

हैदराबाद 19 अगस्त: तालीम-ए-याफ़ता नौजवान नसल ही क़ौम के मुस्तक़बिल को ताबनाक बना सकती है और ये होनहार नौजवान नस्ल-ए-क़ौम के वो हीरे हैं जिनको चमक से क़ौम के अंधेरे दूर हो सकते हैं।

ताहम उन हीरों की पहचान के लिए हक़ीक़ी ख़िदमत-ए-ख़लक़ का जज़बा रखने और सच्ची जुस्तजू से काम करने वालों की ज़रूरत है और रोज़नामा सियासत इस कमी को पूरा करने का इक़दाम कर दिया है।

हक़ीक़ी हीरे को भी तराशना पड़ता है। इसी तरह शेख़ जुनेद का इंतेख़ाब किया। शेख़ जुनेद कोर्टला ज़िला क्रीमनगर से ताल्लुक़ रखता है। इस तालिब-इल्म ने जो एमजे कॉलेज इंजनीयरिंग साल सोम का तालिब-इल्म है। पूरे कॉलेज में बेहतरीन मुज़ाहरा करते हुए अपनी सलाहीयतों को मनवाया है और 86 फ़ीसद निशानात हासिल किया।

शेख़ जुनेद कोर्टला के एक उर्दू मीडियम स्कूल से तालीम हासिल की। वसाइल और मआशी की कमी दूसरे मुक़ाम मुंतक़िल हो कर तालीम हासिल करने की सकत और माली मसाइल इसी लड़के को इस बात की इजाज़त नहीं देते थे। ताहम जब अल्लाह मदद करना चाहता है तो भी वसाइल-ओ-ज़राए ख़ुद बख़ुद बन जाते हैं।

शेख़ जुनेद की क्रीमनगर में बेहतरीन तालीमी मुज़ाहरा पर गलपोशी की गई और इस तक़रीब में न्यूज़ एडीटर सियासत आमिर अली ख़ां को मदऊ किया गया। जब इस लड़के से मुलाक़ात हुई तो उसे पहली नज़र में पहचान लिया और इस की सलाहीयतों को परख लिया। एक तरफ़ तक़रीब जारी थी , तक़ारीर चल रही थीं लेकिन आमिर अली ख़ां के ज़हन में कुछ और ही फ़िक्र थी।

वो बार-बार जुनेद की तरफ़ देखते रहे। उन्हें अंदाज़ा हो गया थाके ये लड़का क़ौम का होनहार सपूत बन सकता है और कोर्टला का नाम करसकता है और प्रोग्राम के फ़ौरी बाद उन्होंने मेहमानों से मुलाक़त को मुख़्तसर करते हुए जुनेद के साथ वक़्त गुज़ारा। शेख़ जुनेद को एस एससी के बाद कोर्टला में कोई मवाक़े नहीं है और ना ही उसके वालिद की माली हालत इतनी बेहतर हैके वो अपने लड़के को आला तालीम दिला सके।

शेख़ जुनेद के वालिद बिड़ी पैकिंग का काम करते हैं। जुनेद के ख़ानदानी हालात से मुकम्मिल वाक़फ़ीयत के बाद आमिर अली ख़ां ने इस की गुलपोशी की । कोर्टला से हैदराबाद मुंतक़िल करवाना और इंटरमीडीएट से लेकर अब इंजनीयरिंग में तालीम के तमाम मराहिल और अख़राजात आमिर अली ख़ां ने बर्दाश्त किए और इस लड़के को अपनी कफ़ालत में ले लिया जो आपनी सलाहीयतों को मसाबिक़त की इस दौड़ में मनवा रहा है।