हुकूमत उत्तरप्रदेश की दरख़ास्त पर हाशिमपुरा क़तल-ए-आम केस का अहया

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आज 16 पुलिस मुलाज़िमीन से जवाब तलब किया है जिन्हें हाशिमपुरा क़तल केस 1987 में एक ट्रायल कोर्ट ने क़तल और दीगर जराइम के इल्ज़ामात से बरी करदिया था जस्टिस जी एस सस्तानी और जस्टिस संगीता धनगेरा सहेगल पर मुश्तमिल बेंच ने ट्रायल कोर्ट फैसले के ख़िलाफ़ हुकूमत उत्तरप्रदेश की अर्ज़ी पर 16 पुलिस मुलाज़िमीन को नोटिसें जारी की है और ये हिदायत दी कि 21 जुलाई तक अपना जवाब दाख़िल करदें।

अदालत ने क़तल-ए-आम के मुतासरीन और क़ौमी हक़ूक़-ए-इंसानी कमीशन की एक दरख़ास्त पर हुकूमत उत्तरप्रदेश और मुल्ज़िम पुलिस मुलाज़िमीन नोटिस जारी की थी। जब कि दरख़ास्त गुज़ारों ने इस वाक़िये की मज़ीद तहकीकात के लिये अहकामात जारी करने की इस्तिदा की थी।

हुकूमत उत्तरप्रदेश अज़ ख़ुद गुज़िशता हफ़्ते ट्रायल कोर्ट फैसले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट से रुजू हुई थी। इस फैसले में क़तल , इक़दाम-ए-क़तल , शवाहिद को मिटा देने और साज़िश के इल्ज़ामात में बेक़सूर क़रार दिया गया था। जब कि मेरठ शहर में क़तल-ए-आम का वाक़िया पेश आया था।

हुकूमत ने अपनी अपील में कहा है कि ट्रायल कोर्ट के फैसला खामियां पाई जाती हैं। वाज़िह रहे कि सेशन अदालत ने 21 मार्च को मेरठ में 42 अफ़राद के क़तल केस में माख़ूज़ साबिक़ प्रोविझ़नल अरमड कानस्टबलेरी (PAC) के 16 अहलकारों कोशक का फ़ायदा देते हुए बरी करदिया और कहा था कि इस केस में मुल्ज़िमीन की शनाख़्त करने में गवाह नाकाम होगए हैं।

इस्तिग़ासा के बमूजब पी ए सी वाबस्ता अमला 22 मई 1987 को हाशिम पूरा गाँव‌ पहुंचा और 50 मुसलमानों को पकड़ कर ले गया जहां पर एक मस्जिद के बाहर 500 अफ़राद इजतिमा में शरीक थे। बादअज़ां पुलिस मुलाज़िमीन ने महरो सेन को गोली मार कर हलाक करदिया और उनकी नाशें एक नहर में बहा दी गई।

इस क़तल-ए-आम में 42 अफ़राद के मौत की तौसीक़ करदी गई थी चीफ जुडीशिय‌ल मजिस्ट्रेट ग़ाज़ियाबाद के रूबरू 1996 में एक चार्ज शीट दाख़िल की गई थी जब कि 19 पुलिस मुलाज़मीन के ख़िलाफ़ इल्ज़ामात वज़ाह किए गए थे ताहम सुप्रीम कोर्ट की हिदायत पर ये केस सितंबर 2002 में दिल्ली मुंतक़िल करदिया गया। ट्रायल कोर्ट ने 16 मुल्ज़िमीन को बरी करदिया जबकि मुक़द्दमे की समाअत के दौरान 3 मुल्ज़िमीन मौत वाक़्य हुई।