हुकूमत ए पाक से तेज निकला लखवी…

एमपीओ कानून के तहत गिरफ्तारी के बाद जेल में बंद मुंबई हमले का साजिशकार और लश्कर दहशतगर्द जकी उर रहमान लखवी अपनी रिहाई के लिए जुमे के रोज़ इस्लामाबाद हाई कोर्ट पहुंच गया।

हुकूमत ए पाक की तरफ से रिहाई की अर्जी ठुकराए जाने के बाद उसने अदालत में दरखास्त दायर कर अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है।

दरखास्त में उसने एमपीओ के तहत हिरासत में रखने के हुकूमत के हुक्म को चुनौती दी है। उसके वकील राजा रिजवान अब्बासी के मुताबिक हाई कोर्ट पीर के रोज़ लखवी की दरखास्त पर सुनवाई की तारीख तय करेगा।

काबिल ए ज़िक्र है कि 18 दिसंबर को इस्लामाबाद की इंसेदाद ए दहशतगत्दी की अदालत ने सुबूतों की कमी का हवाला देते हुए 26/11 मामले में लखवी को जमानत दे दी थी। इससे पहले उसे रिहा किया जाता हिंदुस्तान और बैनुल अक्वामी की तीखे रद्दे अमल को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने उसे एमपीओ के तहत गिरफ्तार कर तीन महीने के लिए जेल में रखने का हुक्म जारी कर दिया।

इस हुक्म को रद करने के लिए लखवी ने बुध के रोज़ वज़ारत ए दाखिला में अर्जी दी थी। अब्बासी ने बताया कि जुमे रोज़ सुबह सरकार ने उसकी अर्जी ठुकरा दी। वकील के मुताबिक वे पहले ही साफ कर चुके थे कि हुकूमत अगर उनकी अपील पर गौर नहीं करती है तो वे गैर कानूनी गिरफ्तारी के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

पाकिस्तान की ऊपरी अदालतों में 8 जनवरी तक सरमाई तातील (Winter Vacation) चल रही है। इसके बाद भी लखवी की दरखास्त हाई कोर्ट में कुबूल कर ली गई है। इस पर लखवी के वकील का कहना था कि गैरकानूनी गिरफ्तारी के मामले संगीन होते हैं इसलिए अदालत छुट्टियों के दौरान भी इस ताल्लुक मे दायर दरखास्त मंजूर कर सकती है।

लखवी की जमानत के खिलाफ पाकिस्तान सरकार अब तक हाई कोर्ट में अपील दायर नहीं कर सकी है। मामले में अहम प्रासीक्यूटर चौधरी अजहर ने बताया कि उन्हें Anti-terrorism court के हुक्मनामे की कापी हासिल कर पाने में मुश्किल हो रही है। उन्होंने कहा कि हुक्मनामे की कापी मिलने के बाद भी हमें दरखास्त तैयार करने के लिए वक्त की जरूरत होगी।