हुकूमत और सरमाया दारों की शिकस्त, उर्दू सहाफ़त की फ़तह

दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली (र) से मुंसलिक मनी कोंडा जागीर की 1664 एकड़ अराज़ी के मुक़द्दमा में आंधरा प्रदेश हाईकोर्ट का सादिर करदा(सुनाया गया) फैसला दरअसल हुकूमत और सरमाया दारों की हज़ीमत और उर्दू सहाफ़त की फ़तह है। रियासतमें ओक़ाफ़ी जायदादों की तबाही ख़िलाफ़ उर्दू सहाफ़त ख़ास कर सियासत, मुंसिफ़ और रहनुमाए दक्कन ने मुशतर्का मुहिम चलाते हुए हुकूमत, मुक़तदिर सियासतदानों और बद उनवान ओहदेदारों की नींदें हराम कर रखी थीं।

उर्दू अख़बारात की शुरू करदा तहरीक पर हुकूमत अपनी गलतियों की इस्लाह करने की बजाय उर्दू अख़बारात को धमकियों और लालच के ज़रीया रास्ता से हटाने की कोशिश की मगर उर्दू अख़बारात के मुदीरान पर ना ही धमकियां कारगर हुईं और ना ही वो लालच के नरग़े में आए।

बड़े अर्सा के बाद भारी अक्सरियत से कामयाबी के ज़ोअम में कांग्रेस हुकूमत ये समझने लगी थी कि वो कुछ भी करे इस का कोई बाल बीका नहीं कर सके गा। कांग्रेस के क़ाइदीन ये समझने लगे थे कि इन से बाज़पुर्स करने की किसी को जुर्रत नहीं होगी। उर्दू अख़बारात की सेयानत औक़ाफ़ के लिए चलाई जा रही मुहिम पर चिराग़-ए-पा हुकूमत ने इबतदा-ए-में उर्दू सहाफ़त के मुदीरों को तरग़ीब देते हुए उन को इस मुहिम से दूर रखने की सुई लाहासिल(नाकाम कोशिश) की।

इस वक़्त के चीफ मिनिस्टर के मुशीर सयासी डाक्टर के वी पी रामचंद्र राउ ने उर्दू अख़बारात के मुदीरों को चीफ मिनिस्टर से मुज़ाकरात के लिए मदऊ किया और जब उर्दू अख़बारात के मुदीर साहबान जनाब ज़ाहिद अली ख़ान, जनाब सय्यद वक़ार उद्दीन कादरी, जनाब ख़ान लतीफ मुहम्मद ख़ान, जनाब ज़हीर उद्दीन अली ख़ान और जनाब आमिर अली ख़ान के लिए मुज़ाकरात के लिए पहुंचे तो मिस्टर के वी पी रामचंद्र राउ ने चीफ मिनिस्टर से मुलाक़ात करवाने की बजाय ख़ुद ही बात चीत करते हुए उन्हें दरपर्दा धमकियां देनी शुरू करदीं।

उन्हों ने ये बावर करवाने की कोशिश की कि मणि कोंडा जागीर की ज़मीन सरकारी है और उसे उर्दू सहाफ़त की जानिब से ओक़ाफ़ी क़रार देने को लगू क़रार दिया। यही नहीं बल्कि उन्हों ने मक्का मस्जिद बम धमाका के बाद मुस्लिम नौजवानों की दहश्तगर्दी के झूटे इल्ज़ामातके तहत गिरफ्तारियों और पुलिस की अज़ियत रसानी के ख़िलाफ़ उर्दू सहाफ़त की मुहिम पर भी नाराज़गी का इज़हार करते हुए कहा था कि जिन मुस्लिम नौजवानों को गिरफ़्तार किया गया वो दहश्तगर्द हैं और उन के ख़िलाफ़ पुलिस के पास ठोस सबूत-ओ-शवाहिद हैं

इस लिए आप लोग अपने अख़बारात में हुकूमत के ख़िलाफ़ मनफ़ी मुहिम चलाने से बाज़ आ जाएं। शायद वो समझे थे कि हुकूमत में उन के असर-ओ-रसूख़ को देखते हुए उर्दू अख़बारात के मुदीर इन मरऊब हूजाएंगे और उन के सामने मुदीरों की घिग्गी बंध जाएगी मगर उर्दू अख़बारात के मुदीरों ने मिली हमीयत का भरपूर सबूत देते हुए बड़े ही दो टोक अंदाज़ में ये वाज़िह कर दिया था कि जब तक हुकूमत मुस्लमानों के मफ़ादात के ख़िलाफ़ इक़दामात करना तर्क नहीं करेगी हमारे अख़बारात की मुहिम ख़तम नहीं होगी। मुदीरों के गैर मुतज़लज़ल मौक़िफ़ को देखते हुए डाक्टर रामचंद्र रेड्डी ने उन्हें चीफ मिनिस्टर से मुलाक़ात करवाना बे फ़ैज़ समझा।

इस के बाद उर्दू अख़बारात की मुहिम से बे चैन होकर कांग्रेस की मर्कज़ी क़ियादत ने मुदाख़िलत की और सदर कांग्रेस मिसिज़ सोनिया गांधी ने अपने मुशीर ख़ास जनाब अहमद पटेल को उर्दू अख़बारात के मुदीरों से मुलाक़ात के लिए रवाना किया। मिस्टर अहमद पटेल ने मुदीरों से बात चीत करने के बाद उन्हें दिल्ली मदऊ किया और कहा कि वो अपना मुद्दा सदर कांग्रेस मिसिज़ सोनिया गांधी और वज़ीर आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह के सामने शख़्सी तौर पर पेश करें ताकि उन मसाइल का कोई ठोस हल तय्यार किया जा सके।

सोनिया गांधी से जनाब ज़ाहिद अली ख़ान और जनाब सय्यद वक़ार उद्दीन कादरी ने मुलाक़ात करते हुए उन्हें दरगाह हज़रत हुसैन शाह वली(र) से मुंसलिक ओक़ाफ़ी जायदाद और दरगाह हज़रत बाबा शरफ़ उद्दीन (र) से मुंसलिक ओक़ाफ़ी जायदाद की फाईलें पेश कीं जहां बिलतर्तीब लानको हिलज़ और जी एम आर इंटरनेशनल ए रिपोर्ट क़ायम किया जा रहा था।

दोनों मुदीरों ने शवाहिद के साथ मज़कूरा जायदादों को ओक़ाफ़ी साबित किया और उन से ख़ाहिश की कि वो मुदाख़िलत करते हुए मज़कूरा जायदादें वक़्फ़ बोर्ड के हवाला करदें या फिर लानको हिलज़ में निस्फ़ मुनाफ़ा का वक़्फ़ बोर्ड को हक़दार बनाया जाय और इंटरनेशनल एयर पोर्ट की मजमूई आमदनी में भी ज़मीन की शराकतदारी के एतबार से मुनाफ़ा में शामिल किया जाय।

मिसिज़ सोनिया गांधी ने बड़ी ही मितानत से मुदीरों से कहा कि वो इन फाएलस का बारीक बेनी से मुशाहिदा करने के बाद कोई ना कोई काबिल-ए-क़बूल हल तलाश करेंगी। उन्हों ने दो तीन माह तक अपनी मुहिम को मौक़ूफ़ करने की ख़ाहिश की मगर उन्हों ने बड़ी मक्कारी के साथ तलब करदा मुद्दत के ख़तम होने से क़बल ही शमस आबाद इंटरनेशनल एरपोर्ट की इफ़्तिताही तक़रीब में ख़ामोशी से शिरकत करके वापिस चली गईं।

उन्हों ने इस इफ़्तिताही तक़रीब में उर्दू मुदीरों से किए गए वाअदा को फ़रामोश कर गईं और इस ख़सूस में एक लफ़्ज़ भी अदा नहीं किया और फिर कभी कहीं इस का तज़किरा करना तक गवारा नहीं किया। इस तरह कांग्रेस की मर्कज़ी क़ियादत ने मुस्लमानों को फ़रेब दिया मगर अदालत ने आज वक़्फ़ बोर्ड के हक़ में फैसला सादिर करते हुए उर्दू अख़बारात के मौक़िफ़ को कामयाबी से हमकनार कर दिया।